हत्या में बाल यौन दासों का इस्तेमाल करता है तालिबान
तरीनकोट: तालिबान दक्षिणी अफगानिस्तान में पुलिस पर हमला करने के लिए बाल यौन दासों का इस्तेमाल कर रहा है। इस शोषण को ‘बच्चा बाजी’ के नाम से जाना जाता है जिसमें लड़के सुरक्षा खेमे में घुसपैठ करते हैं।
यह जानकारी कई अधिकारियों और इस तरह के हमलों में बचे लोगों ने दी है।यह पुरानी प्रथा पूरे अफगानिस्तान में प्रचलित है लेकिन यह उरूजगान प्रांत में सर्वाधिक दिखाई देती है जहां शक्तिशाली पुलिस कमांडरों के लिए ‘बच्चा बेरीश’ या बिना दाढ़ी वाले लड़के व्यापक रूप से कामुक आकर्षण की वस्तु हो गये हैं।
प्रांत के सुरक्षा और न्यायिक अधिकारियों ने मुताबिक तालिबान ने लगभग दो साल तक ट्रोजन हार्स हमले में इसका इस्तेमाल किया। उन्होंने जनवरी में कम से कम छह और अप्रैल में एक हमले में सैकड़ों पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी।
उरूजगान के पुलिस प्रमुख रहे गुलाम शेख रोघ लेवनई ने बताया, ‘तालिबान, चौकियों में घुसने और हत्या, मादक पदार्थ और पुलिसकर्मियों को जहर देने के लिए खुबसूरत और सुंदर लड़कों को भेज रहा है।’ बढ़ती हिंसा के बीच अप्रैल में हुये फेरबदल में लेवनई का तबादला कर दिया गया था।
उन्होंने बताया, ‘उन्होंने पुलिस बलों के बड़ी कमजोरी ‘बच्चा बाजी’ को उजागर किया।’ 1996-2001 के अपने शासन के दौरान तालिबान ने बच्चा बाजी को प्रतिबंधित कर दिया था। उन्होंने भीतरी हमले में किसी भी उम्र के लड़कों का इस्तेमाल करने से इंकार किया है।
तालिबान के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘इस तरह के अभियानों के लिए हमने एक विशेष मुजाहिद्दीन बिग्रेड का गठन किया है जिसमें सभी व्यक्तियों की दाढ़ी होती है।’