श्रीमद्भगवद्गीता गीता के उपदेश आज भी हैं प्रासंगिक
महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से जो बातें कहीं थीं उनका महत्व आज भी है। भगवत गीता के उपदेश आज भी मनुष्य जाति के लिए उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन के लिए थे. ऐसा माना जाता है कि इस दुनिया के सभी सवालों के जवाब भगवत गीता में छिपे हैं। जब भी कोई व्यक्ति अपने मार्ग से भटके या फिर उसे कोई रास्ता दिखाने वाला न मिले तो गीता के उपदेश अवश्य ही उसे रास्ता दिखाएंगे। श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया के वैसे श्रेष्ठ ग्रंथों में है, जो न केवल सबसे ज्यादा पढ़ी जाती है, बल्कि कही और सुनी भी जाती है। कहते हैं जीवन के हर पहलू को भगवत गीता से जोड़कर व्याख्या की जा सकती है।
श्रीमद्भगवद्गीता के महत्व से युवा वर्ग अंजान है हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं जो इसे पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन किताब के पन्ने देखकर दूर भागते हैं। यूं तो भागवत गीता में कुल 18 अध्याय और 720 श्लोक हैं। क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती है।
जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम बीते समय का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो. वर्तमान चल रहा है।
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया. जो लिया, इसी (भगवान) से लिया। जो दिया, इसी को दिया.
खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।
परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो।
न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जाएगा। परन्तु आत्मा स्थिर है। फिर तुम क्या हो? तुम अपने आपको भगवान को अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त है। जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान को अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवन-मुक्त का आनंन्द अनुभव करेगा।
सोमवार को शिव पूजन से पूरी होती हर इच्छा, इन बातों का ध्यान रख ऐसे करें पूजा
सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए खास माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन शिव जी बहुत जल्द खुश होते हैं।
सोमवार का दिन है खास
हिंदू शास्त्रों में सोमवार का दिन मुख्य रूप से भगवान शिव जी का दिन माना जाता है। मान्यता है कि शंकर जी शांत, सौम्य और भोले स्वभाव के देवता कहे जाते हैं। वहीं सोमवार को सौम्य भी कहते हैं। इसलिए शिव जी के लिए सोमवार का दिन खास माना जाता है। भगवान शिव जी के माथे पर विराजे चंद्र देव भी सोमवार के दिन उनका व्रत व पूजन करते थे।
शिव देते हैं भक्तों को आशीर्वाद
ऐसे में इस दिन व्रत व पूजा करने से शिव जी अपने भक्तों पर बहुत जल्द खुश होते हैं। वे भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। व्रत व पूजा करने वालों के जीवन से दुख, रोग, क्लेश व आर्थिक तंगी दूर होती है। कुवांरी कन्याओं द्वारा इस दिन व्रत व शिव पूजन किए जाने से उनका विवाह हो जाता है। इतना ही नहीं उन्हें भोलेनाथ जैसा मनचाहा वर मिलता है।
विधिविधान से करें शिव पूजन
सोमवार के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद मंदिर जाएं या घर पर ही विधिविधान से शिव जी की पूजा करें। सबसे पहले भगवान शिव के साथ माता पार्वती और नंदी को गंगाजल व दूध से स्नान कराएं। इसके बाद उन पर चंदन, चावल, भांग, सुपाड़ी, बिल्वपत्र और धतूरा चढ़ाएं। भोग लगाने के बाद आखिरी में शिव जी की विधिविधान से आरती करें।
इस दिन एक ‘नम: शिवाय’ का जाप करें।