एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस वक्त रिजर्व बैंक का जिस सरप्लस पर कंट्रोल है वो सरकारी नियमों से काफी ज्यादा है, दुनिया भर में स्थापित मान्यता है कि जीडीपी का 14 प्रतिशत केंद्रीय बैंक में रिजर्व के रूप में रखा जाए, आरबीआई के पास इस वक्त 27 प्रतिशत है, और ऐसा किसी फैसले यहा फिर आदेश के तहत नहीं हुआ है।
नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार के बड़े अफसरों ने भले ही यह कह दिया हो कि केंद्र को रिजर्व बैंक का पैसा नहीं चाहिए, लेकिन रिजर्व बैंक के तगड़े सरप्लस से केन्द्र की निगाह हटी नहीं है। ताजा खबर यह है कि केंद्र सरकार रिजर्व बैंक से कहने जा रही है कि वो सरप्लस रिजर्व की सीमा तय करे। यानी कि रिजर्व बैंक एक नियम बनाकर नगदी की वो मात्रा तय करे जो वह अपने पास रख सकता है। माना जा रहा है कि एक बार ये सीमा तय हो जाने के बाद केंद्र बाकी बची रकम को अपने खाते में ट्रांसफर करने के लिए रिजर्व बैंक को कह सकती है। इंडिया टुडे को वरिष्ठ सूत्रों ने बताया है कि सरकार रिजर्व बैंक के बोर्ड में मौजूद अपने प्रतिनिधियों के जरिये केंद्रीय बैंक द्वारा रखे जाने वाले सरप्लस रिजर्व की सीमा तय करना चाहती है।
बता दें कि इस वक्त रिजर्व बैंक का मौजूद सरप्लस रिजर्व 9.63 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। पिछले सप्ताह जब ये रिपोर्ट आई थी कि केंद्र सरकार ने आरबीआई को उसकी आरक्षित निधि से 3.6 लाख करोड़ रुपये सरकार को ट्रांसफर करने को कहा है तो इस पर राजनीति से लेकर आर्थिक जगत में खलबली मच गई। माना जा रहा है सरकार से निर्देश रिजर्व बैंक और मोदी सरकार के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई। हालांकि मामला बिगड़ता देख वित्त मंत्रालय ने डैमेज कंट्रोल किया। शुक्रवार को आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने इस खबर को खारिज करते हुए इसे गलत सूचनाओं पर आधारित कयासबाजी करार दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है और देश का राजकोषीय घाटा लक्ष्य के अनुरूप है। बता दें कि आगामी 19 नवंबर को रिजर्व बैंक के बोर्ड की बैठक होने वाली है। इस बैठक में इस मसले पर चर्चा संभव है।
बता दें कि आरबीआई में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि बहुमत में हैं। रिजर्व बैंक के सरप्लस नगदी पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “इस वक्त रिजर्व बैंक का जिस सरप्लस पर कंट्रोल है वो सरकारी नियमों से काफी ज्यादा है, दुनिया भर में स्थापित मान्यता है कि जीडीपी का 14 प्रतिशत केंद्रीय बैंक में रिजर्व के रूप में रखा जाए, आरबीआई के पास इस वक्त 27 प्रतिशत है, और ऐसा किसी फैसले यहा फिर आदेश के तहत नहीं हुआ है, यह पूरी तौर पर मनमाना फैसला है, एक नियम तो होना ही चाहिए कि आरबीआई कितना पैसा रख सकता है।” आरबीआई के सूत्रों ने इस तथ्य की पुष्टि की है कि हाल ही में सरकार और आरबीआई के बीच हुए संवाद में सरप्लस रिजर्व की सीमा तय का मुद्दा सामने आया था।
आरबीआई और बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट मानते हैं कि रिजर्व सरप्लस की सीमा तय करने पर सरकार का जोर केंद्र का एक चालाकी भरा फैसला है, ताकि एक आधार बनाया जाए और भविष्य में रिजर्व बैंक को फंड ट्रांसफर करने के लिए कहा जा सके। सरकार और रिजर्व बैंक के बीच तनातनी के इस माहौल में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। चिदंबरम ने ट्वीट किया, ” 19 नवंबर 2018 को आरबीआई की अगली बोर्ड में मीटिंग को लेकर मैं आशंकित हूं और मेरा ये कर्तव्य बनता है कि मैं देश के लोगों को चेतावनी दूं और उन्हें बताऊं कि बीजेपी सरकार की गलत नीतियां कितनी खतरनाक हो सकती हैं।” चिदंबरम ने कहा है कि सरकार का तात्कालिक लक्ष्य है कि अपने वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक के फंड से कम से कम एक लाख करोड़ रुपये लिये जाएं और इसे चुनावी साल में खर्च किया जाए।