अद्धयात्म

महाशिवरात्रि के दिन अगर दिखाई दे जाये कोई अघोरी साधू, तो दिखते ही कर लें ये काम, संवर जायेगी जिदंगी

देवों के देव महादेव को खुश करने वाला आस्था से परिपूर्ण महाशिवरात्रि का व्रत सबसे महत्वपूर्ण होता है. जो शख्स भगवान शिव में आस्था रखते हैं वह भोले के महाशिवरात्रि व्रत को जरूर करते हैं. हिंदू धर्म में, महाशिवरात्रि व्रत, पूजा, कथा और उपायों का खास महत्व होता है. महाशिवरात्रि 2019 तिथि की बात करें तो, इस बार महाशिवरात्रि 4 मार्च की पड़ रही है|अमूमन महाशिवरात्रि फरवरी या मार्च के माह में पड़ती है.

शिव भक्ति

अघोरी साधुओं को शैव संप्रदाय का माना जाता है, यानी कि वे शिव जी के उपासक हैं। उनका मानना है कि शिव ही वह एकमात्र ताकत है, जो इस दुनिया को अपने नियंत्रण में रखता है और निर्वाण का आखिरी सारथी है।शिव के भैरव रूप में उनकी साधना करने वाले अघोरियों के बारे में कई बार सुना और देखा जाता है। अघोरियों का रूप सामान्य से काफी अलग होता है इसलिए बहुत से लोग उन्हें देखकर भयभीत भी हो जाते हैं।शिव को उनके भैरव रूप में प्रसन्न कर उनसे शक्तियां प्राप्त करने के लिए अघोरी अलग-अलग तरह से साधनाएं करते हैं।

शिव के पांच चेहरे माने जाते हैं जिसके एक चेहरे का नाम ‘अघोर’ है. ‘घोर’ का शाब्दिक अर्थ है ‘घना’ जो अंधेरे का प्रतीक है और ‘अ’ मतलब ‘नहीं’। इस तरह अघोर का अर्थ हुआ जहां कोई अंधेरा नहीं, हर ओर बस प्रकाश ही प्रकाश है। शिव का सबसे चमकीला रूप ‘अघोरी’ कहलाता है। अघोरी मतलब घने अंधेरे को हटाने वाला। अंधेरे का अर्थ भय भी हो सकता है। इस तरह यह अघोर रूप उस भय से मुक्त कराने वाला भी है, अघोरी जो हर घोर (अंधेरे की तरह दिखने वाले भय को हटा दे)।

शिव का यह अघोरी रूप सबसे खूबसूरत माना जाता है। इस रूप में शिव औघड़ भी कहलाते हैं जो दुनिया से विरक्त, अपनी ही साधना में लीन आत्मा का प्रतीक है।कहा जाता हैं कि अघोरी बाबाओं के दर्शन अति दुर्लभ होते है, अघोरी शिवजी भक्त माने जाते हैं, अगर किसी साधरण मनुष्य को महाशिवरात्रि के दिन कहीं भी अचानक कोई अघोरी बाबा दिख जाये तो समझें उनकी किस्मत चमकने वाली हैं । इस दिन इनके दिखते ही कोई भी यह काम कर लेता हैं तो उस व्यक्ति का जीवन संवर जाता हैं । जानिए अघोरी बाबा के दिखने पर करना क्या है ।

आपको बता दे भारत में कुछ ऐसे प्रमुख तीर्थस्थल हैं जहां अघोर साधनाएं आज भी होती है और यहां इनके दर्शन भी कभी कभार हो जाते हैं । लेकिन जिनकों भी इनके दर्शन हो जाये तो तुरंत ही उनके चरणों में लेटकर श्रद्धापूर्वक प्रणाम कर लें । अगर उन्होंने हाथ उठाकर आशीर्वाद दे दिया तो समझों उनका भविष्य एवं वर्तमान संवर जाता हैं ।अघोरी सामान्यत: शिव की पूजा करते हैं, जिन्हें विनाश का देवता कहा जाता है. इसके साथ ही वह शिव की पत्नी शक्ति की भी पूजा करते हैं.

ऐसी मान्यता हैं कि अघोरी बेहद सरल होते हैं और प्रकृति के साथ रहना पसंद करते हैं. वह किसी तरह की कोई डिमांड नहीं करते.“वह हर चीज़ को ईश्वर के अंश के रूप में देखते हैं|वह न तो किसी से नफ़रत करते हैं और न ही किसी चीज को ख़ारिज करते हैं इसीलिए वे किसी जानवर और इंसानी के बीच भेदभाव नहीं करते हैं. कहा जाता है कि महाकाल शिव के उपासक अघोरपंथ के लोग भारत भूमि मे केवल चार स्थानों पर ही श्मशान साधना करते हैं । चार स्थानों के अलावा ये लोग माता के शक्तिपीठों, बगलामुखी, काली और भैरव के मुख्य स्थानों के पास के श्मशान में साधना करते हैं ।

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