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सरकार फसल बीमा योजना में करेगी बड़ा बदलाव, किसानों को मिलेगी सुविधा

केंद्र सरकार अपनी प्रमुख फसल बीमा योजना, “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना” में बड़ा परिवर्तन करने पर विचार कर रही है। जिसमें देश में कृषि बीमा का एक नया मॉडल भी शामिल है। जिसके तहत कृषि ऋण लेने वाले किसानों के लिए कार्यक्रम को वैकल्पिक बनाया जाएगा। ऐसा करने का विचार इसलिए किया जा रहा है क्योंकि कार्यान्वयन में दिक्कत और विलंबित भुगतान के कारण किसानों में गुस्सा है।

रिपोर्ट के अनुसार सरकार को उम्मीद है कि योजना को वैकल्पिक करने से कृषि ऋण लेने वाले किसानों की परेशानी दूर होगी। खासतौर पर उनके लिए जिनके लिए फसल बीमा योजना अनिवार्य है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन किसानों के प्रीमियम का शेयर खुद ब खुद उनकी स्वीकृत ऋण राशि से कट जाता है। वहीं किसानों को जो मुआवजा मिलता है, उसमें अक्सर देरी होती है। हालांकि यह योजना उन किसानों के लिए पहले से ही वैकल्पिक है, जो ऋण का लाभ नहीं उठाते हैं।

साल 2016 में इस योजना के शुरू होने के बाद से इसे बेहतर बनाने के लिए इसमें बहुत से बदलाव पहले ही किए गए हैं। लेकिन विलंबित भुगतान, दावों के सत्यापन और विवादों के चलते परेशानियां ऐसे ही बनी रही हैं। एक अधिकारी ने पहचान ना बताने की शर्त पर कहा कि केंद्र सरकार ने बीते महीने राज्यों को खत लिखते हुए कहा था कि वह इस जोखिम को खत्म करना चाहती है। इसके साथ ही योजना से ऊंचे प्रीमियम वाली फसलों को भी लिस्ट से हटा दिया जाएगा।

2016 में शुरू हुई इस योजना में सरकार के पास सितंबर 2017 तक दो हजार करोड़ रुपये का प्रीमियम आ चुका था। उस समय सरकार ने आठ हजार करोड़ रुपये का क्लेम भी जारी किया था। अभी फसल बीमा योजना का लाभ देश के 30 फीसदी फसलों के एरिया को मिल रहा है।

योजना के क्रियान्वयन के दौरान कई चुनौतियां सामने आईं और मंत्रालय ने इन कमियों की पहचान की है और मंत्रालय ने कई बदलावों का प्रस्ताव दिया है। साथ ही इस संबंध में राज्य सरकारों से विचार मांगे गए थे। फिलहाल जो प्रीमियम की दर तय है उसके मुताबिक खरीफ फसलों पर दो फीसदी, रबी फसलों पर 1.5 फीसदी और औद्यानिकी व वाणिज्यिक फसलों पर पांच फीसदी का प्रीमियम किसानों को देना होता है। इस प्रीमियम पर किसानों को फसल की बुवाई से पहले और बाद की अवधि के लिए व्यापक बीमा उपलब्ध कराया जाता है।

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