अन्तर्राष्ट्रीय

उपदेश देने से पहले पीओके में मानवाधिकार का उल्लंघन रोके पाकिस्तान : भारत

दस्तक टाइम्स/एजेंसी: united-nations-flag-ap_650x400_81439526681संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को उठाने को लेकर यह कहते हुए पाकिस्तान पर पलटवार किया कि उसे दूसरे को उपदेश देने से पहले पीओके में मानवाधिकार उल्लंघन रोकना चाहिए तथा पीड़ितों के लिए आत्मनिर्णय का अधिकार सुनिश्चित करना चाहिए।

यात्रा पर आए सांसद रतन लाल कटारिया ने ‘आत्मनिर्णय के अधिकार’ पर महासभा की तीसरी समिति में सयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की दूत मलीहा लोधी द्वारा जम्मू-कश्मीर को लेकर की गई अवांछित टिप्पणियों को खारिज कर दिया।

कटारिया ने कहा कि यह बड़ी विडंबना है कि कश्मीर और आत्मनिर्णय पर टिप्पणियां एक ऐसे देश से आती हैं, जिसने भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर के हिस्से पर अवैध कब्जा जमा रखा है और इस कब्जे वाले क्षेत्र को मानवाधिकार से लगातार वंचित कर रहा है।

उन्होंने इस समिति के सामने अपने बयान में कहा, दूसरों को उपदेश देने से पूर्व पाकिस्तान को पहले अपने कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन रोकना चाहिए और पीड़ितों के लिए आत्मनिर्णय का अधिकार सुनिश्चित करना चाहिए।

अपने बयान में लोधी ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने की पाकिस्तान की मांग दोहरायी थी और कहा कि दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता स्थापित करने के लिए कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय के वादे को पूरा किया जाना ‘अपरिहार्य’ है। लोधी ने कहा था, लगातार कश्मीरी महिलाओं, बच्चों और पुरुषों द्वारा झेली जा रही पीड़ा से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सामूहिक चेतना जाग्रत होनी चाहिए। उन्होंने कहा था, संयुक्त राष्ट्र की 70वीं वर्षगांठ पर इस संस्था को केवल कुछ और शब्द बोलने के लिए नहीं बल्कि कार्रवाई के लिए उत्प्रेरक होना चाहिए। कश्मीरी लोगों से आत्मनिर्णय का लंबे समय से किया हुआ वादा तुरंत पूरा करना दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता के लिए अपरिहार्य है। कटारिया ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों को आत्मनिर्णय जैसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर के कुछ मूलभूत सिद्धांतों को चुनिंदा ढंग से पुनपर्रिभाषित करने में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए तथा पृथकतावाद को बढ़ावा देने के विध्वंसकारी राजनीतिक एजेंडे तथा बहुलवादी एवं लोकतांत्रिक राज्य को कमजोर बनाने के लिए उनका दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह कहना पर्याप्त होगा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। जम्मू-कश्मीर की जनता ने आजादी के समय आत्मनिर्णय के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया और तब से उसने सभी स्तर पर स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं खुले मतदान में हिस्सा लिया है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में 65 फीसदी मतदान हुआ।b

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