किसानोंं ने कहा खरीदार बढ़ने से मिलेगी अच्छी कीमत, अब नहीं रहेगी कोई बंदिश
महराजगंज : किसान बिल को लेकर हो रहे हंगामे के महराजगंज जनपद में किसानोंं की राय जानी, जिसमें किसान कृषि बिल के पक्ष में नजर आए।
परसौनी के किसान कैलाश सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 1970 दशक में एक किसान बिल लायी थी, जिसके तहत एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग ऐक्ट के तहत कृषि विपणन समितियां बनी थीं। इसे ही शार्ट फार्म में एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी(एपीएमसी) कहा जाता है।
बताया कि इस एक्ट में यह प्रावधान किया गया कि किसान अपनी उपज केवल सरकार द्वारा तय स्थान अर्थात सरकारी मंडी में ही बेच सकता है। इस मंडी के बाहर किसान अपनी उपज नहीं बेच सकता। और इस मंडी में कृषि उपज की खरीद भी वो ही व्यक्ति कर सकता था जो एपीएमसी में रजिस्टर्ड हो, दूसरा नहीं।
कहा कि उसी का दुष्परिणाम है कि किसान निरन्तर इन आढ़तियों के जरिये छला गया। कृषि प्रधान देश में कृषि निरन्तर घाटे की सौदा बनती गई। इस एक्ट के कारण हुआ कृषि उपज की खरीदारी करनें वालों की गिनती बहुत सीमित हो गई।
अन्य राज्यों में फसल बेचने पर नहीं लगेगा कोई टैक्स
बताया कि इस एक्ट के तहत किसानोंं की उपज खरीदने के लिए मात्र 10-20 या 50 लोग ही ग्राहक अर्थात आढ़तिया होते हैं। ये ही चन्द लोग मिलकर किसान की उपज के भाव तय करते हैं। एपीएमसी एक्ट में कई तरह के टैक्स और कमीशन किसान पर लगे थे। जैसे कि किसान को भी अपनी फसल “कृषी उपज मंडी” में बेचने पर 3 प्रतिशत, मार्किट फीस, 3 प्रतिशत रूरल डेवेलप मेन्ट फंड और 2.5 कमीशन देना पड़ता था। कहा कि कांग्रेस सरकार की इस बिल का ही नतीजा है कि किसान आत्महत्या करने को मजबूर हुआ।
क्या है नए क़ृषि बिल में
इस नए किसान बिल से अब किसान मंडी के बाहर भी अपनी फसल बेच सकता है और मंडी के अंदर भी। किसान का सामान कोई भी व्यक्ति संस्था खरीद सकती है जिसके पास पैन कार्ड हो। अगर फसल मंडी के बाहर बिकती है तो राज्य सरकार किसान से कोई भी टैक्स वसूल नहीं सकती। किसान अपनी फसल किसी राज्य में अच्छी कीमत मिल सकेगी।
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परसौनी के किसान राम नरेश पटेल ने कहा कि इस बिल से कमीशन एजेंटों के कार्यो पर विराम लगेगा। जिससे किसानों को लाभ पहुंचेगा। पकड़ी विशुनपुर के चंद्र शेखर मिश्रा कहते हैं कि अब किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकते हैं। कोई बंदिश नहीं है। मिश्रोलिया के रमेश तिवारी कहते हैं कि किसान बिल से खरीददार बढ़ जाएंगे जिससे किसानोंं को उनके फसल का अच्छा दाम मिल सकेगा।
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