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देवशयनी एकादशी को योग निद्रा में चले जाएंगे विष्णु

ज्योतिष : शास्त्र के अनुसार हर साल 24 एकादशी पड़ती है, मलमास या अधिकमास आने पर एकादशी की संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं। सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत होती है। इस दिन से श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और चार मास बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर उन्हें उठाया जाता है। उस दिन को देवउठनी या देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है, जो कार्तिक माह में पड़ता है। इस बीच के अंतराल को ही चातुर्मास कहा गया है।
इस वर्ष यानि 2021 में देवशयनी एकादशी 20 जुलाई को है। इस दिन से विष्णु चार महीने के लिए निद्रा में चले जाएंगे। इस दौरान विश्व का पालन महेश करेंगे। देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास की शुरुआत होगी। चार्तुमास के दौरान शुभ कार्यों पर प्रतिबंध रहता है। 15 नवंबर को कार्तिक माह की देवोत्थान एकादशी पर विष्णु जागेंगे और मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जायेंगे।
– एकादशी तिथि : 19 जुलाई रात 9 बजकर 59 मिनट से 20 जुलाई रात 7 बजकर 17 मिनट तक
– पारण तिथि : 21 जुलाई सुबह 5 बजकर 36 मिनट से सुबह 8 बजकर 21 मिनट तक

पूजन विधि व व्रत : आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी की शाम को ही सूर्यास्त से पहले भोजन कर लें। इसके बाद पानी के अलावा किसी का सेवन नहीं करें। एकादशी के दिन सुबह जल्द उठकर स्नान करें। फिर भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मंदिर में दीपक जलाएं व विष्णु का जलाभिषेक करें। प्रभु नारायण को तुलसी दल और पुष्प अर्पित करें। देवशयनी एकादशी की कथा का पाठ करें। भगवान को भोग लगाएं। अगले दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और श्रद्धा अनुसार दान व दक्षिणा जरूर दें।

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