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सरकार मधुमेह मरीजों की देखभाल के लिए सहायता और सब्सिडी प्रदान करे : सीजेआई रमण

नई दिल्ली । देश में डायबिटीज के शिकार लोगों और उनके परिजनों को उनकी देखभाल के लिए सहायता और सब्सिडी प्रदान की जाए ऐसी बात चीफ जस्टिस एनवी रमण ने की है। इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि सरकार डायबिटीज को नियंत्रण में रखने और इसके इलाज में उपयोगी दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों पर सब्सिडी दे सकती है। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमण ने रविवार को कहा कि यह आवश्यक है कि सरकार मधुमेह देखभाल के लिए सहायता और सब्सिडी प्रदान करे क्योंकि यह एक ‘महंगी बीमारी’ है। जस्टिस रमण ने डायबिटीज को एक आजीवन बीमारी और गरीबों का दुश्मन करार दिया। उन्होंने कहा कि स्थानीय आबादी को लक्षित करके भारत विशिष्ट अध्ययन करना अनिवार्य है, जिससे उचित उपचार प्रोटोकॉल विकसित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार को बीमारी से निपटने के लिए और अधिक स्वास्थ्य पेशेवरों को प्रशिक्षित करने और सेवा में लाने की जरूरत है।

न्यायमूर्ति रमण ने मधुमेह पर आहूजा बजाज संगोष्ठी’ में कहा कि कोविड-19 ने पहले ही उजागर कर दिया है कि हमारी स्वास्थ्य प्रणाली पर अत्यधिक बोझ है और का इलाज खोजने के लिए आधुनिक दवाएं विकसित करना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मधुमेह के इलाज में काफी अधिक खर्च होता है, इसलिए यह आवश्यक है कि सरकार मधुमेह की देखभाल के लिए सहायता और सब्सिडी प्रदान करे। उन्होंने कहा कि सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए अधिक स्वास्थ्य पेशेवरों को प्रशिक्षित करने और सेवा में लाने की भी जरूरत है। चीफ जस्टिस ने कहा, ‘राष्ट्र और उसके नागरिकों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है और हमने अपने लिए जो विकासात्मक लक्ष्य निर्धारित किए हैं उसके लिए भी यह जरूरी है।’

उन्होंने कहा कि जब भारतीय वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं ने महामारी फैलने के कुछ महीनों के भीतर कोविड-19 रोधी टीके के लिए मिलकर काम किया तो वह बहुत उत्साहित थे। हालांकि, हम मधुमेह के लिए एक स्थायी इलाज खोजने के करीब भी नहीं हैं, जो एक पुरानी बीमारी है। उन्होंने कहा, ‘मेरी एक ही इच्छा है कि इसका इलाज मिल जाए। इसके लिए वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को पूरा ध्यान देना होगा। इस बीमारी और इसके नियंत्रण के बारे में जागरूकता फैलाने में डॉक्टरों की अहम भूमिका प्रशंसनीय है।’ उन्होंने कहा, ‘यह बीमारी गरीब आदमी की दुश्मन है। यह एक महंगी बीमारी है।’

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