के. कामराज की जयंती पर भारतीय प्रधानमंत्री ने रेखांकित की उनकी भूमिका
नई दिल्ली: आज 15 जुलाई को भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तमिलनाडु के महान व्यक्तित्व के. कामराज को उनकी जयंती पर याद किया। प्रधानमंत्री का कहना था के. कामराज ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अमिट योगदान दिया और उन्होंने एक दयालु प्रशासक के रूप में अपनी पहचान बनाई थी। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि ” के. कामराज जी को उनकी जयंती पर याद कर रहा हूँ। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अमिट योगदान दिया और उन्होंने एक दयालु प्रशासक के रूप में अपनी पहचान बनायी थी। उन्होंने गरीबी और मानव पीड़ा को कम करने के लिए कड़ी मेहनत की। उन्होंने स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार पर भी ध्यान केंद्रित किया था ।”
कौन थे के . कामराज :
के कामराज का जन्म 15 जुलाई 1903 को तमिलनाडु के विरुधुनगर, मदुरै में हुआ था। गांव के ही पारंपरिक स्कूल में इनका दाखिला हुआ। बाद में विरुधुनगर हाई स्कूल में इन्हें नामांकन कराया गया। जब कामराज 6 वर्ष के थे तो उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। अपनी मां का हाथ बढ़ाने के लिए उन्होंने 1914 में स्कूल छोड़ दिया। धीरे-धीरे सामाजिक कार्यों में उनकी रुचि बढ़ने लगी। वह 18 वर्ष की उम्र में 1920 में राजनीति में सक्रिय हो गए तथा कांग्रेस में शामिल हुए स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया। 1922 में गांधीजी के असहयोग आंदोलन का भी हिस्सा रहे। नमक सत्याग्रह के दौरान भाग लेने के की वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा। हालांकि कांग्रेस में के कांग्रेस की पकड़ मजबूत होती चली गई। वे लगातार राजनीति में सक्रिय होते रहे जिसकी वजह से उन्हें गिरफ्तार किया जाता रहा। 1946 से 1952 तक वह मद्रास प्रोविंशियल और मद्रास स्टेट कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। 1954 में मद्रास विधानसभा के सदस्य बने।
किंगमेकर की थी भूमिका :
के कामराज भारत के महान स्वतंत्रा सेनानी तो रहे ही बाद में वे मझे हुए राजनेता भी साबित हुए। के कामराज को किंग मेकर के तौर पर जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने उन्हें दो बार प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला, लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि साल 1964 में जब जवाहरलाल नेहरू की असामयिक मृत्यु हुई तो कांग्रेस नेतृत्व संकट से जूझ रही थी। सभी लोग कामराज की ओर देख रहे थे। हालांकि, कामराज में लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री पद की कुर्सी तक पहुंचाया। लाल बहादुर की भी असामयिक मृत्यु के बाद के कामराज आसानी से प्रधानमंत्री बन सकते थे। लेकिन, उन्होंने इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनवा दिया। जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु के बाद के कामराज 1964 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे।जब कामराज का निधन हुआ तो उनके पास केवल 130 रुपये, 2 जोड़ी चप्पल, चार शर्ट और कुछ किताबे थी।