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मुंबई एयरपोर्ट के पास 48 ऊंची इमारतों के हिस्सों को गिराने का बाम्बे हाई कोर्ट ने दिया आदेश

मुंबई : बाम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने शुक्रवार को मुंबई उपनगरीय जिला कलेक्टर को ऊंचाई मानदंडों के उल्लंघन के लिए मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (Mumbai International Airport) के पास 48 ऊंची इमारतों को ध्वस्त करने के लिए कहा है। हाई कोर्ट का आदेश नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के आदेशों के अनुपालन में आया है।

बंबई हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार एक निश्चित ऊंचाई से ऊपर निर्मित हिस्से को ध्वस्त किया जाना है। उच्च न्यायालय अधिवक्ता यशवंत शेनाय द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही था, जिसमें मुंबई हवाई अड्डे के पास ऊंची इमारतों से उत्पन्न खतरों पर चिंता जताई गई थी।

इससे पहले, 25 जुलाई यानी सोमवार को बाम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई हवाई अड्डे के पास ऊंची इमारतों से विमानों के लिए खतरों पर एक याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की, कि उड़ानों में सब कुछ हवाई यातायात नियंत्रण पर निर्भर करता है और एक गलती से कुछ भी हो सकता है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने वकील यशवंत शेनाय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस मामले में मुंबई के हवाई अड्डे के आसपास के क्षेत्र में निर्धारित ऊंचाई सीमा से ऊपर के भवनों के निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।

मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने हाल ही में रिलीज हुई अजय देवगन की फिल्म रनवे 34 का भी जिक्र किया। न्यायाधीश ने काह कि पायलट पर कुछ भी निर्भर नहीं है। सब कुछ हवाई यातायात नियंत्रण पर निर्भर करता है। अदालत ने कहा था कि वह इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करेगी।

इससे पहले, गुरुवार को महाराष्ट्र के एक शहर औरंगाबाद का नाम बदलने के विरोध में बाम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। उच्च न्यायालय इस पर एक अगस्त को सुनवाई करेगा। औरंगाबाद के ही रहने वाले तीन व्यक्तियों मोहम्मद मुस्ताक अहमद, अन्नासाहब खंदारे व राजेश मोरे ने यह याचिका दायर की है। दायर याचिका में कहा गया है, औरंगाबाद का नाम बदलने का उद्देश्य मुस्लिमों के प्रति वैमनस्य पैदा कर राजनीतिक लाभ लेना है। 2001 में औरंगाबाद का नाम बदलने का एक प्रयास राज्य सरकार ने किया था। लेकिन तब वह सफल नहीं हो सकी थी।

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