नई दिल्ली : वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा (Ananad Sharma) ने रविवार को चुनावों से ठीक पहले हिमाचल प्रदेश इकाई की ‘संचालन समिति’ के प्रमुख के रूप में इस्तीफा देने की घोषणा की है. आनंद शर्मा से पहले कांग्रेस के कश्मीरी वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने भी कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर प्रचार समिति से इस्तीफा दिया था. दोनों ही बड़े नेता कांग्रेस की G-23 समिति का हिस्सा हैं.
कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे चुके आनंद शर्मा का इस्तीफा G-23 नेताओं के बीच बढ़ती नाराजगी को भी दिखाता है, अभी कुछ ही दिन बीते थे जब गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर प्रचार समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. कार्य प्रणाली से खफा होने के बाद, ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं का धड़ा सितंबर में होने जा रहे पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव में अपना प्रत्याशी भी उतार सकता है.
पिछले तीन सालों से एक के बाद एक हार झेल चुकी कांग्रेस अब पहाड़ी प्रदेश से BJP का सफाया करना चाह रही है जिसके कारण प्रदेश की अच्छी समझ रखने वाले आनंद शर्मा को चुनाव की देख रेख करने के लिए अध्यक्ष बनाया गया था. हालांकि कई परामर्श प्रक्रिया में नजरअंदाज करने और किसी मीटिंग में नहीं बुलाने से नाराज आनंद ने इस्तीफे की घोषणा कर दी. फ़िलहाल आनंद पार्टी के प्रत्याशियों का प्रचार करने जारी रखेंगे.
जब अप्रैल में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस का पुनर्गठन किया गया था, शर्मा को ‘संचालन समिति’ का अध्यक्ष नामित किया गया था. चार महीने बीतने के बाद आनंद शर्मा ने कहा कि वह अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकते और इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं. जी-23 नेताओं में रहे शर्मा के इस्तीफे के कई मायने निकाले जा रहे हैं.
आनंद शर्मा ने कहा, ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं अकेला हूं…हम सभी के जीवन चुनौतियां हैं. मैं वर्षों से ऐसी चुनौतियों का सामना कर रहा हूं, मैं राजनीति छोड़ सकता था. मेरा बेटा ऑटिस्टिक है…मैंने अपना प्रोफेशन छोड़ दिया, मैंने अपना पूरा जीवन दे दिया. मुझे बदनाम करने की जरूरत नहीं है. मैं बहुत आहत और अपमानित महसूस कर रहा हूं. मुझे इसका दुख है.’ यह कहते हुए आनंद शर्मा की आवाज टूट रही थी, वह किसी तरह अपने आंसुओं को रोक पा रहे थे.
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी छोड़ने की योजना है? आनंद शर्मा ने कहा, ‘कभी नहीं. मैं इसे बिल्कुल स्पष्ट कर रहा हूं. कांग्रेस में ऐसा कोई नहीं है जो गुलाम नबी आजाद, मुझसे और कुछ अन्य लोगों से सवाल कर सके, जिन्होंने पार्टी को अपना पूरा जीवन दे दिया.’ उन्होंने कहा, ‘यह क्या अफवाह फैलाई जा रही है. आंतरिक सुधारों और सामूहिक निर्णय लेने वाले नेतृत्व के लिए पार्टी में मुद्दों को उठाना, क्या यह अपराध है? यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की परंपरा और इतिहास रहा है. साजिश रचने वाले और अनिधिकृत लोग हमारे बारे में इस तरह की बेतुकी टिप्पणियां नहीं कर सकते.’