बेंगलुरु : कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र की विधानसभा में लाए गए एक प्रस्ताव की कड़ी निंदा की है। महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव में सीमा विवाद के बीच राज्य के हितों की रक्षा करने का संकल्प लिया गया है। बता दें कि दोनों ही राज्यों में भाजपा सत्ता में है। कर्नाटक ने भी हाल ही में महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद पर एक प्रस्ताव पारित किया है। महाराष्ट्र के प्रस्ताव में कहा गया है कि 865 मराठी भाषी गांव हैं, और “इन गांवों का हर इंच महाराष्ट्र में लाया जाएगा”, जिसमें बेलागवी भी शामिल है। महाराष्ट्र के ताजा कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि उन्होंने (महाराष्ट्र के नेताओं ने) जो प्रस्ताव पारित किया है, उसके लिए कोई प्रावधान नहीं है। बोम्मई ने कहा, “वे भड़का रहे हैं और हमें बांटने की धमकी दे रहे हैं। हम इसकी निंदा करते हैं। राज्य पुनर्गठन अधिनियम (1956 में) पारित हुए कई दशक बीत चुके हैं। दोनों राज्यों में लोग सद्भाव से रहते हैं।”
बोम्मई ने कहा, “महाराष्ट्र राजनीति खेल रहा है। इस तरह का प्रस्ताव पारित करना सिर्फ एक राजनीतिक नौटंकी है। हम अपने फैसलों पर कायम हैं। कर्नाटक का एक इंच भी महाराष्ट्र में नहीं जाएगा। हम कर्नाटक में कन्नड़ लोगों और सीमा के बाहर कन्नड़ भाषी समुदाय के हितों की रक्षा करना जारी रखेंगे।” उन्होंने कहा, “जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो उन्होंने ऐसा प्रस्ताव क्यों पारित किया? हमारा प्रस्ताव उनसे अलग है। हमारा संकल्प कहता है कि हम अपनी कर्नाटक (भूमि) नहीं जाने देंगे, जबकि वे कहते हैं कि इसे हमसे छीनना चाहते हैं। जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो संकल्प का कोई मतलब नहीं है। हम सुप्रीम कोर्ट में विश्वास करते हैं।” दोनों राज्यों में सीमा विवाद के बीच महाराष्ट्र विधानसभा ने कर्नाटक के 865 मराठी भाषी गांवों को राज्य में शामिल करने के लिए मंगलवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों में यह प्रस्ताव पेश किया।
कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने महाराष्ट्र विधानसभा में पारित, कर्नाटक के मराठी भाषी गांवों को शामिल करने के प्रस्ताव की निंदा करते हुए कहा कि पड़ोसी राज्य को एक भी गांव नहीं दिया जाएगा। शिवकुमार ने कहा कि इस मुद्दे पर पूरा कर्नाटक एकजुट है और महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव की कड़ी निंदा करता है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘पूरा कर्नाटक और कांग्रेस पार्टी हमारे राज्य के गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने के उनके प्रस्ताव की कड़ी निंदा करती है। हम इसके खिलाफ अपना विरोध व्यक्त करते हैं। हम कर्नाटक से एक भी गांव देने के लिए तैयार नहीं हैं और हम भी उनके गांव नहीं चाहते हैं। हमारी सीमाएं तय हैं।’’
यहां पत्रकारों से उन्होंने कहा कि कर्नाटक में हर कोई राज्य के हितों की रक्षा के लिए एकजुट है। शिवकुमार ने कहा, ‘‘कन्नड़ भाषा, हमारे गांवों और राज्य की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। हम इस मुद्दे पर हर तरह का सहयोग करने के लिए तैयार हैं। हम उनके प्रस्ताव का विरोध करते हैं, हम इसे विधानसभा में भी उठाएंगे और कांग्रेस इस संबंध में एक प्रस्ताव पेश करने के लिए तैयार है।’’