स्वतंत्रता के बाद भी कारीगरों को सरकार से आवश्यक हस्तक्षेप कभी नहीं मिला: PM मोदी
नई दिल्ली: पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान (PM विकास) पर बजट के बाद वेबिनार (post-budget webinar) को संबोधित करते हुए PM मोदी (PM Modi) ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भी, कारीगरों को सरकार से आवश्यक हस्तक्षेप कभी नहीं मिला। नतीजा यह हुआ कि आज इस असंगठित क्षेत्र के अधिकांश लोग आजीविका के लिए छोटे मोटे काम करते हैं। कई अपना पुश्तैनी पेशा छोड़ रहे हैं। वे आज की जरूरतों के अनुसार खुद को ढालने की क्षमता से बाहर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज बजट का यह वेबिनार भारत के करोडो़ं लोगों के हुनर और उनके कौशल को समर्पित है। हम कौशल जैसे क्षेत्रों में जितना अव्वल होंगे हमें उतनी सफलता मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि इसे लेकर कई सुझाव भी आए हैं। सभी स्टैक हॉल्डर्स (stake holders) ने इस बजट को कैसे सार्थक बनाया जाए इस पर चर्चा की। जो चर्चा संसद में होती है जो चर्चा सांसद करते हैं वैसे ही गहन विचार जनता की ओर से हमें मिला है। इस बार जो बजट आया है उसे हम किस तरह से जल्द से जल्द लागू करें और स्टैक हॉल्डर्स के साथ किस प्रकार से इसे काम में लाया जाए इस पर खासा चर्चा हुई है।
उन्होंने कहा कि शहरों में विभिन्न कारीगर हैं जो अपने कौशल से औजार का उपयोग कर अपना जीवन यापन करते हैं, PM विश्वकर्मा का फोकस ऐसे एक बिखरे हुए समुदाय की तरफ है। महात्मा गांधी की ग्राम स्वराज कल्पना को देखें तो गांव के जीवन में खेती किसानी के साथ ही अन्य व्यवस्थाएं भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। हम उन्हें उनके हाल पर नहीं छोड़ सकते। यह एक ऐसा तबका है जिसने सदियों से अपने शिल्प को पारंपरिक तरीकों से सुरक्षित रखा है। एक ऐसा तबका है जिसने अपने असाधारण कौशल और अनूठी रचना से अपनी पहचान बनाई है। वे आत्मानिर्भर भारत के सच्चे अर्थों के प्रतीक हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान की घोषणा के बाद व्यापक चर्चा हुई, समाचार पत्रों और आर्थिक विशेषज्ञों ने इस पर ध्यान दिया। महज घोषणा आकर्षण का केंद्र बन गई है। भगवान विश्वकर्मा को परम निर्माता और सबसे महान वास्तुकार माना जाता है। उनकी मूर्तियों में उन्हें तरह-तरह के औजार पकड़े हुए देखा जाता है। हमारे समाज में औजारों की मदद से अपने हाथों से कुछ बनाने वालों की समृद्ध परंपरा रही है।