नई दिल्ली : आयुर्वेद में बहुत सारी बीमारियों का इलाज बताया गया है। वहीं कुछ नियम आयुर्वेद के ऐसे हैं जिन्हें लगातार करने से इंसान बुढ़ापे तक स्वस्थ (Healthy) रह सकता है। ऐसी ही क्रिया है जलनेति। जिसमे नाक के जरिए पानी पीने का अभ्यास करवाया जाता है। आयुर्वेद के एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर इस क्रिया को रोजाना किया जाए तो कई सारी बीमारियों से आराम मिल सकता है।
जलनेति की क्रिया के माध्यम से सायनाइटिस जैसी समस्या में आराम मिलता है। साइनस की समस्या में नाक के खाली स्पेस में खोखली जगह पर सूजन हो जाती है। इसमे जलनेति से आराम मिलता है। यहीं नहीं सांस से जुड़ी समस्याएं अस्थमा, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस में भी जलनेति आराम पहुंचाता है।
नाक के रास्ते में शरीर में जाने वाले बैक्टीरिया और दूसरे टॉक्सिंस को जलनेति की क्रिया के माध्यम से बाहर निकाला जा सकता है। यहीं नहीं जलनेति गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक को भी साफ करता है। ये नाक के जरिए होने वाले इंफेक्शन को भी होने से रोकता है। 2011 में हुई स्टडी में पता चला है कि अगर योग के कुछ आसन और जलनेति को रोजाना किया जाए तो रूमेटाइड आर्थराइटिस में असर दिखाता है। रूमेटाइड आर्थराइट में सुबह उठने पर जोड़ों में जकड़न, सूजन, ज्यादा दर्द होना, ब्लड प्रेशर और यूरिक एसिड के लेवल को भी कंट्रोल करता है।
बच्चों को अगर रोजाना जलनेति का अभ्यास कराया जाए तो इससे बच्चों का माइंड शार्प बनता है और इंटैलिटजेंट बनते हैं। स्ट्रेस लेवल कम करने में इस थेरेपी की मदद असरदार हो सकती है। जलनेति याददाश्त बढ़ाने के साथ ही कंसन्ट्रेशन और अक्सर होने वाले स्ट्रेस को भी कम करता है। जिन लोगों की आंख में मायोपिया की दिक्कत होती है और नजर कमजोर होती है। उनके लिए जलनेति योगा की तरह ही असरदार है। इस थेरेपी को रोजाना करने से टियर ग्लैंड रिलैक्स होते हैं और आंखों की रोशनी इंप्रूव होती है।
जलनेति करने के लिए अलग तरह का बर्तन आता है। जिसकी मदद से नाक के एक हिस्से में पानी लेकर दूसरी तरफ से निकालना होता है। और यहीं प्रक्रिया नाक के दूसरे हिस्से से भी की जाती है। लेकिन जलनेति करने का अभ्यास नियमित रूप से कई महीनों तक करने के बाद ही हो पाता है। और लगातार अभ्यास से ही इसके नतीजे देखने को मिलते हैं।