मप्र में उम्मीदवारी चयन में फिर चौंकाने की तैयारी में भाजपा
भोपाल: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं। पार्टी वर्तमान सांसदों का जमीनी रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रही है तो वहीं बेहतर नए चेहरों की तलाश में भी जुटी है। संभावना इस बात की जताई जा रही है कि पार्टी लोकसभा चुनाव में कई नए चेहरों को मैदान में लाकर चौंका सकती है।
भाजपा की प्रयोगशाला के तौर पर मध्य प्रदेश की पहचान है और पार्टी ने राज्य में कई फैसले ऐसे लिए हैं जिनका पूर्वानुमान सियासी पंडितों के अनुकूल भी नहीं निकला। इसी आधार पर यह संभावना जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव में भी ऐसे नाम सामने आ सकते हैं जो चर्चाओं में भी नहीं है।
राज्य में लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं जिनमें से वर्ष 2019 में हुए चुनाव में भाजपा ने 28 पर जीत दर्ज की थी, सिर्फ छिंदवाड़ा सीट कांग्रेस के पास है।
विधानसभा चुनाव में पार्टी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा था, इनमें से पांच को जीत मिली, जबकि दो हार गए। वहीं पार्टी के पास छह सांसदों की नकारात्मक रिपोर्ट आई है। इस तरह पार्टी 12 से 13 चहरों में बदलाव कर सकती है।
इसी आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि पार्टी लोकसभा चुनाव को लेकर जो फैसला करेगी वह चौंकाने वाले होंगे।
सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि भाजपा तीन बार से ज्यादा लोकसभा का चुनाव लड़ चुके नेताओं को एक बार फिर मैदान में उतारने की तैयारी में नहीं है, इसके चलते कई सांसदों का चुनाव लड़ना खतरे में पड़ सकता है।
वहीं पार्टी विधानसभा चुनाव की तरह नए चेहरों पर दांव लगा सकती है। इसके पीछे कारण है कि एक तरफ पांच सांसद विधायक बन चुके हैं, जिसके चलते मुरैना, जबलपुर, दमोह सीधी और नर्मदापुरम की सीटें खाली हुई हैं। दो सांसद — सतना से गणेश सिंह और मंडला से फग्गन सिंह कुलस्ते को हार का सामना करना पड़ा है और छह सांसदों की जमीनी रिपोर्ट नकारात्मक आई है।
इसके साथ ही कई सांसद तीन बार से ज्यादा लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। यह वे स्थितियां है जो बड़ी तादाद में नए चेहरों को मौका दे सकती हैं।
भाजपा चुनावी तैयारी की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है। राज्य की 29 सीटों के लिए क्लस्टर प्रभारी नियुक्त किए गए हैं। वहीं राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रतिनिधि राज्य की सियासी नब्ज को टटोलने में जुटे हुए हैं। साथी उन संभावित चेहरों की भी तलाश शुरू की जा रही है जो पार्टी के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय हैं और जातीय संतुलन के लिहाज से अहमियत रखते हैं।
राज्य के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने सभी 29 सीटों पर जीत का दावा किया है और अगर उसे ऐसा करना है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ सक्रिय कार्यकर्ताओं को मौका देना ही होगा। जैसे पार्टी ने विधानसभा चुनाव में बड़ी तादाद में नए चेहरों को मौका दिया तो मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनकर सबको चौंका दिया। इसी तरह के फैसले लोकसभा की उम्मीदवारी को तय करने में भी लेने होंगे।