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MP : इस शहर में 750 साल से बीच चौराहे पर विराजमान हैं शिव, राजा-महाराजा तक नहीं हिला पाए मंदिर

ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भगवान शिव का एक ऐसा अनोखा मंदिर हैं जो लगभग 750 साल से बीच चौराहे पर विराजमान है। इस मंदिर के स्वयंभू शिवलिंग को हटाने के लिए बड़े से बड़े राजा महाराजाओं ने कोशिश की लेकिन इसे हिला ना सके। राजा महाराजाओं ने कई हाथियों से इस शिवलिंग को हटाने की कोशिश की लेकिन इसे हिला ना सके। इसे खोदकर निकालने की भी कोशिश की गई। खोदते खोदते पानी तो निकल आया, लेकिन शिवलिंग का कोई छोर नहीं मिला। भगवान भोलेनाथ के इस चमत्कारी शिवलिंग को लोग बाबा अचलेश्वर महादेव के नाम से पुकारते हैं।

अचलेश्वर महादेव के पुजारी ने बताया कि लगभग 750 साल पहले जिस स्थान पर आज मंदिर है वहां एक पीपल का पेड़ हुआ करता था। यह पेड़ सड़क के बीचों-बीच होने के कारण लोगों की आवागमन में परेशानी होती थी। सबसे ज्यादा परेशानी शाही परिवार को तब उठानी पड़ती थी जब विजयदशमी के अवसर पर शाही परिवार को शाही सवारी निकालनी पड़ती थी। यह मार्ग रास्ते में आता था।

इसके बाद शासकों ने पेड़ को हटाने के आदेश दिए। पेड़ हटते ही वहां एक स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ। इसके बाद शिवलिंग को हटाने के लिए काफी मेहनत की गई लेकिन उसे वहां से टस से मस ना किया जा सका। फिर शिवलिंग के अगल-बगल काफी गहरी खुदाई की गई। मजदूरों ने इतनी गहरी खुदाई की कि पानी निकलने लगा। फिर भी शिवलिंग को नहीं हिला सका। बाद में शाही परिवार ने शिवलिंग को हटाने के लिए हाथी भेजे।

हाथियों में जंजीर बांधकर जब शिवलिंग खींचा गया तो लोहे की मोटी जंजीरें टूट गईं लेकिन शिवलिंग टस से मस ना हुआ। इसके बाद रात को भगवान ने तत्कालीन राजा को सपने में चेतावनी दी। भगवान अचलनाथ ने कहा कि यदि मूर्ति खंडित हुई तो समझ लो कि तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा। इसके बाद राजा ने शिवलिंग हटाने का काम तुरंत रोक दिया। राजा को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने पिंडी की विधिवत पूजा अर्चना के साथ प्रतिष्ठा कराई।

अचलेश्वर महादेव के प्रति लोगों की काफी गहरी श्रद्धा है। सावन के पहले सोमवार पर लोग सुबह से ही भगवान अचलेश्वर के दर्शन करने के लिए आ रहे हैं। बड़ी राजनीतिक हस्तियां भी इस मंदिर में दर्शन पूजन करने के लिए आती हैं। पूरे उत्तर भारत में मान्यता है कि भगवान अचलनाथ के दरबार में जो भी मत्था टेकने पहुंचता है, शिव उसकी इच्छापूर्ति का वरदान देते हैं। मान्यता है कि बाबा अचलनाथ का वरदान भी उनकी प्रतिमा की तरह चल रहता है। यानी भक्तों की हर मुराद पूरी होती है।

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