विलफुल डिफॉल्टर पर RBI सख्त, बैंकों से कहा रहम न करें
नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिया है कि जो लोग जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाते, उन्हें 6 महीने के अंदर विलफुल डिफॉल्टर घोषित करना होगा. बैंकों ने इस प्रक्रिया के लिए ज्यादा समय मांगा था, लेकिन आरबीआई ने यह मांग खारिज कर दी. आरबीआई का कहना है कि प्रक्रिया में देरी से बैंकों की संपत्तियों की कीमत घटती है और उनका नुकसान बढ़ता है. आरबीआई का मानना है कि समय सीमा तय करने से बैंकों को तेज कार्रवाई में मदद मिलेगी. विलफुल डिफॉल्टर की प्रक्रिया जल्दी पूरी होने से बैंकों की संपत्तियां सुरक्षित रहेंगी और देश की आर्थिक स्थिरता को बनाए रखा जा सकेगा. यह फैसला बैंकों के हित में लिया गया है.
जब कोई व्यक्ति 90 दिनों तक लोन की किस्त या ब्याज नहीं चुकाता, तो बैंक उसका खाता एनपीए घोषित करता है. इसके बाद, विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने की प्रक्रिया शुरू होती है. इस दौरान कर्ज लेने वाले को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है. लेकिन कई बार कर्जदार इस समय का गलत इस्तेमाल करके प्रक्रिया में देरी करते हैं. आरबीआई का कहना है कि इस देरी से कानूनी कार्रवाई धीमी पड़ जाती है और बैंकों को नुकसान होता है. समय सीमा घटाने से यह समस्या खत्म होगी और बैंकों को तेज और प्रभावी कार्रवाई का मौका मिलेगा.
एक बार विलफुल डिफॉल्टर घोषित हो जाने पर, उस व्यक्ति के लिए किसी भी बैंक से कर्ज लेना लगभग असंभव हो जाता है. साथ ही, उसे समाज में बदनामी का सामना करना पड़ता है. आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि इस प्रक्रिया को जल्दी पूरा करने से यह सुनिश्चित होगा कि कर्जदार कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए देश छोड़कर भाग न सके. यह कदम बैंकों को कर्ज डूबने के संकट से बचाने और देश की आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में मददगार होगा.