अन्तर्राष्ट्रीयटेक्नोलॉजीटॉप न्यूज़दिल्लीफीचर्डब्रेकिंगराष्ट्रीयव्यापार

ऐप्स बैन: चीनी कंपनियों को बड़ा झटका, केवल टिकटॉक से ही 45 हजार करोड़ का झटका !

फाइल

दिल्ली, 1 जुलाई, दस्तक (ब्यूरो): भारत-चीन के बीच गलवान घाटी में तनाव के बाद ड्रैगन को आर्थिक चोट पहुंचाने में जुटे भारत को बड़ी सफलता हाथ लगी है। भारत में टिकटॉक को बैन किए जाने के बाद उसकी मदर कंपनी बाइटडांस के भारत में निवेश के प्लान को बड़ा झटका लगा है। बाइटडांस ने भारत में तकरीबन एक बिलियन डॉलर निवेश करने की योजना को झटका लगा है। भारत ने चीन के 59 एप पर पाबंदी लगाने से चीनी कंपनियों को आर्थिक नुकसान के रुझान आऩे लगे है। चीन की एक ही कंपनी को 45 हजार करोड़ के नुकसान की आशंका जताई जा रही है। चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, चीनी इंटरनेट कंपनी बाइटडांस को ये नुकसान झेलना पड़ सकता है। ये कंपनी टिक टॉक और हेलो की मदर कंपनी है।

आपको बता दें कि भारत ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए चीन के 59 ऐप्स को प्रतिबंधित कर दिया था। चीन के सभी ऐप में टिकटॉक भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय था। कई सेलिब्रेटी ट्विटर यूजर्स के फॉलोवर की संख्या लाखों में है। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक बाइटडांस को 6 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है।

भारत में 60 करोड़ डाउनलोड

बैन के बाद अब टिकटॉक गूगल प्ले स्टोर और एपल के ऐप स्टोर पर ब्लॉक कर दिया गया है। भारत ने ऐप को बैन करने के बाद इन्हें देश की अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा बताया था। दुनिया में टिकटॉक के कुल यूजर्स में तीस प्रतिशत भारत में ही हैं। भारत में इस ऐप के करीब 60 करोड़ डाउनलोड हैं। बीते साल बाइटडांस कंपनी ने भारत में बड़े स्तर पर फैलाव की योजना के तहत कई सीनियर पदों पर नियुक्तियां की थीं। कंपनी भारत को अपने लिए टॉप ग्रोथ देश के रूप में देख रही थी।

फाइल

बड़ी संख्या में जा सकती हैं नौकरियां’

बैन की गई एक चीनी कंपनी के भारत में वकील का कहना है कि अगर इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो बड़े स्तर पर नौकरियां जाएंगी। वहीं चीनी विदेश मंत्रालय ने इस फैसले पर कहा था कि वो इसे लेकर बेहत चिंतित है। बीजिंग की ओर से कहा गया है कि भारत का यह कदम विश्व व्यापार संगठन/डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन हो सकता है।

फाइल

भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी रोंग ने कहा, ‘कुछ चीनी ऐप्स को निशाना बनाने के लिए और भेदभाव भरे रवैये से उठाए गए इस क़दम का आधार अस्पष्ट और समझ से परे है। भारत का यह कदम निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के ख़िलाफ़ है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा की भावना का दुरुपयोग है जो WTO के नियमों का उल्लंघन भी हो सकता है। यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार और ई-कॉमर्स के तौर-तरीकों के खिलाफ है। यह भारतीय ग्राहकों के हित और बाजार की शर्तों के अनुरूप भी नहीं है।

Related Articles

Back to top button