नेपाल में जन्मा सुनहरा कछुआ, दर्शन करने पहुंच रहे हैं लोग
काठमांडू : नेपाल (Nepal) में एक सुनहरा कछुआ (Tortoise) मिला है। सुनहरे कछुए को पवित्र मानते हुए दूर-दूर से लोग इसकी पूजा करने के लिए आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि जेनेटिक (Genetic) म्यूटेशन (Mutation) की वजह से इस कछुए का रंग सुनहरा (Golden) हो गया है। इस कछुए को धनुषा जिले के धनुषधाम नगर निगम इलाके में पाया गया है।
इस बीच मिथिला वाइल्डलाइफ (Mithila WildLife) ट्रस्ट (Trust) ने कछुए की पहचान भारतीय फ्लैप कछुए के रूप में की है। इस कछुए की खोज के बाद वन्यजीव विशेषज्ञ कमल देवकोटा ने कहा कि इस कछुए का नेपाल में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। उन्होंने कहा कि कई लोगों का कहना है कि भगवान विष्णु (God Vishnu) ने कछुए का अवतार लेकर पृथ्वी को बचाने के लिए धरा पर कदम रखा है। देवकोटा ने कहा कि सनातन मान्यता के अनुसार कछुए का ऊपरी खोल आकाश और निचले खोल को पृथ्वी (Earth) माना जाता है।
जींस में बदलाव
उधर, देवकोटा के दावे के विपरीत विशेषज्ञों का कहना है कि यह जींस में बदलाव की वजह से हुआ है। इसे क्रोमैटिक ल्यूसिजम कहा जाता है। इसकी वजह से कछुए के ऊपरी खोल (Shell) का रंग सुनहरा हो गया। इसकी वजह से पशुओं के चमड़े का रंग (colour) या तो सफेद या मध्यम भी हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस कछुए के मामले जींस (jeans) में बदलाव की वजह से उसका रंग सुनहरा हो गया।
देवकोटा ने कहा कि नेपाल में सुनहरे रंग का यह पहला कछुआ है। पूरी दुनिया में इस तरह के कुल 5 ही कछुए मिले हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए एक असामान्य खोज है। उन्होंने कहा कि जेनेटिक्स से पैदा हुई परिस्थितियों का प्रकृति (Nature) पर बुरा असर पड़ता है। लेकिन इस तरह के जीव हमारे लिए बेशकीमती हैं।