रायपुर : गोंचा महापर्व पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर के समृद्ध इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन परंपराओं और संस्कृति-सभ्यताओं से बस्तर का इतिहास समझा जा सकता है। जगदलपुर स्थित सिरहासार भवन में आयोजित बस्तर गोंचा महापर्व और भगवान श्री जगन्नाथ की आरती एवं 56 भोग कार्यक्रम में मुख्यमंत्री वर्चुअली शामिल हुए।
उन्होंने कहा कि बस्तर के हजारों रंगों में से एक रंग गोंचा-महापर्व का भी है। यह गोंचा महापर्व आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तो है ही, यह सांस्कृतिक विकास को जानने-समझने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। गोंचा महापर्व का इतिहास 616 वर्षों से भी पुराना है। ओडिशा का गुडिंचा पर्व बस्तर में आकर गोंचा पर्व हो गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना के माध्यम से हम उत्तर से लेकर दक्षिण तक भगवान राम के वनवास से जुड़े स्थलों को चिन्हित करके उन्हें पर्यटन तीर्थों के रूप में विकसित कर रहे हैं। इनमें जगदलपुर और सुकमा जिले का रामाराम भी शामिल है। हाल ही में हमने रायगढ़ में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया। इसमें विदेशों की रामलीला मंडलियों ने भी भाग लिया।