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राज्यसभा के सदस्यों में से 31% के खिलाफ आपराधिक मामले :ADR Report

नई दिल्ली : राज्यसभा के वर्तमान सदस्यों में से 31 प्रतिशत के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि उच्च सदन के सदस्यों की औसत संपत्ति 79.54 करोड़ रुपये हैं। चुनाव सुधार की दिशा में काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर)-नेशनल इलेक्शन वॉच की एक ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई। एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच (ADR And National Election Watch) ने वर्तमान 233 राज्यसभा सदस्यों में से 226 के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों और उनकी वित्तीय और उनसे जुड़ी अन्य जानाकरियों की समीक्षा के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है। वर्तमान राज्यसभा में एक सीट खाली है। दो सांसदों की जानकारी की समीक्षा नहीं की जा सकी क्योंकि उनके हलफनामे उपलब्ध नहीं थे और जम्मू एवं कश्मीर की चार राज्यसभा सीटें अभी तक अपरिभाषित हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक राज्यसभा के 226 सदस्यों में 197 यानी 87 प्रतिशत करोड़पति हैं और राज्यसभा सदस्यों की औसत संपत्ति 79.54 करोड़ रुपये हैं। इसके मुताबिक 226 सदस्यों में 71 यानी 31 प्रतिशत ने अपने हलफनामों में खुद के खिलाफ आपराधिक मामले होने की घोषणा की है जबकि 37 यानी 16 प्रतिशत ने गंभीर आपराधिक मामले होने की पुष्टि की है। जारी रिपोर्ट के मुताबिक राज्यसभा के दो सदस्यों ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या के मामले दर्ज होने की घोषणा की है जबकि चार सदस्य ऐसे हैं जिनके खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है। रिपोर्ट में कहा गया कि चार सांसदों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले घोषित किए हैं। इनमें से एक राजस्थान से कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल हैं, जिन्होंने हलफनामे में बलात्कार से जुड़ा एक मामला (आईपीसी की धारा 376) होने की घोषणा की है।

रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के 85 में से 20 यानी 24 प्रतिशत, कांग्रेस के 31 में से 12 यानी 39 प्रतिशत, तृणमूल कांग्रेस के 13 में से तीन यानी 23 प्रतिशत, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के छह में से पांच यानी 83 प्रतिशत, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पांच में से चार यानी 80 प्रतिशत, आम आदमी पार्टी (आप) के 10 में से तीन यानी 30 प्रतिशत, वाईएसआर कांग्रेस के नौ में से तीन यानी 33 प्रतिशत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के चार में दो यानी 50 प्रतिशत ने अपने हलफनामों में आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा के 85 में से 11 यानी 11 प्रतिशत, कांग्रेस के 31 में आठ यानी 26 प्रतिशत, तृणमूल कांग्रेस के 13 में से एक यानी आठ प्रतिशत, राजद के छह में से तीन यानी 50 प्रतिशत, माकपा के पांच से दो यानी 40 प्रतिशत, आप के 10 में से एक यानी 10 प्रतिशत, वाईएसआर कांग्रेस के नौ में से तीन यानी 33 प्रतिशत और राकांपा के चार में एक यानी 25 प्रतिशत सदस्यों ने अपने हलफनामों में अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होने का उल्लेख किया है।

राज्यवार आंकड़े देते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि राज्यसभा में उत्तर प्रदेश के 31 में से सात यानी 23 प्रतिशत, महाराष्ट्र के 19 में से 12 यानी 63 प्रतिशत, तमिलनाडु के 18 में से छह यानी 33 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल के 16 में से तीन यानी 19 प्रतिशत, केरल के नौ में से छह यानी 67 प्रतिशत और बिहार के 16 में से 10 यानी 63 प्रतिशत सदस्यों ने अपने-अपने हलफनामों में खुद के खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं।

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