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भारत ऐसी वैक्सीन बना रहा जो वायरस के सभी स्‍ट्रेन्‍स के खिलाफ कारगर साबित होगी

नई दिल्ली: कोविड-19 के नए वेरिएंट JN.1 की वजह से संक्रमण के मामले बढ़ने की आशंका है। SARS-CoV-2 के इस सब-वेरिएंट में इम्‍यून सिस्‍टम को चकमा देने की गजब क्षमता बताई जा रही है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) ने JN.1 को ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ घोषित कर दिया है। JN.1 हो या कोरोना का कोई और स्‍ट्रेन, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने सबका डेटा भारत बायोटेक लिमिटेड को भेज दिया है। मकसद है कोविड-19 देने वाले वायरस SARS-CoV-2 के लिए यूनिवर्सल वैक्सीन बनाना।

भारत बायोटेक के वैज्ञानिक ऐसे वैक्सीन तैयार करने में लगे हैं जो सभी वेरिएंट्स के खिलाफ असरदार होगी। सरकार ने अपना यह इरादा स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण की संसदीय समिति को बताया। समिति की रिपोर्ट मंगलवार को राज्यसभा में पेश की गई। वहीं, लैब्‍स के सरकारी फोरम INSACOG को JN.1 के 19 और सिक्‍वेंस मिले हैं। इनमें एक महाराष्‍ट्र से है और 18 गोवा से। कुछ दिन पहले ही केरल से इस सब-वेरिएंट का पहला मामला सामने आया था।

कोविड के खिलाफ यूनिवर्सल वैक्सीन

भुवनेश्वर कलिता की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने 2022 में स्वास्थ्य मंत्रालय को एक यूनिवर्सल कोविड वैक्सीन डिवेलप करने की सिफारिश की थी जो सभी वेरिएंट्स के खिलाफ प्रभावी हो।
सरकार के अनुसार, ICMR ने चिंता वाले सभी वेरिएंट्स - अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और ओमीक्रोन के सारे स्‍ट्रेन्‍स को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया है।
सरकार ने संसद की स्थायी समिति को यह भी बताया कि SARS-CoV-2 के उभरते वेरिएंटस के खिलाफ मौजूदा टीकों से प्रोटेक्शन का लेवल समझने के लिए ICMR-नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (ICMR-NiV) लगातार स्टडी कर रहे हैं।​

लगातार इवॉल्व हो रहा SARS-CoV-2, ठंड के सीजन में बढ़ी टेंशन

दुनिया भर में कोविड-19 के मामलों में काफी कमी आई है, लेकिन वैक्सीनेशन और नैचरल इन्फेक्शन या दोनों के बावजूद, अब भी कोरोना वायरस के कारण होने वाले संक्रमण में कभी-कभी उछाल आ रहा है। वायरोलॉजिस्‍ट्स का कहना है कि ऐसा वायरस के इवॉल्‍यूशन के चलते संभव है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार को JN.1 को ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ घोषित किया। WHO ने कहा कि ऐसा अनुमान है कि यह वेरिएंट अन्य वायरल और बैक्टीरियल इन्‍फेक्‍शन के बीच कोविड मामलों में इजाफे की वजह बन सकता है, खासकर उन देशों में जहां सर्दियों का मौसम शुरू हो रहा है।

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