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अग्‍न‍िपथ का विरोध करते-करते भद्दी बयानबाजी से क्या कांग्रेस सेल्फ गोल कर रही है?

नई दिल्ली : अग्‍न‍िपथ योजना (Agnipath Scheme) को लेकर देश में चल रहे बवाल के बीच 20 जून को कांग्रेस नेता ने सारी हद और मर्यादा पार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुलेआम हिटलर बताते हुए अपशब्द बोले। इसका एक वीडियो सामने आया है। बता दें कि कांग्रेस ने आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर अग्निपथ योजना के खिलाफ धरना भी दिया। कांग्रेस सहित कई संगठनों ने आज भारत बंद का ऐलान किया गया था। जब मामला तूल पकड़ने लगा तब सहाय ने सफाई देते हुए कहा कि वे तो नारा लगा रहे थे, जो बहुत पुराना नारा है।

कांग्रेस (Congress) अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। 2014 के बाद से लगातार उसने अपनी जमीन खोई है। इसमें नेताओं की गलतबयानी का भी किरदार रहा है। उन्‍होंने समय-समय पर ऐसे बयान दिए जिन्‍होंने पार्टी की इमेज खराब की। साथ ही लोगों का मन भी खट्टा किया। इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी (BJP) को मिला। इन्‍हीं बयानों को भगवा पार्टी ने मुद्दा बनाया। लोगों की सहानुभूति बंटोरी। बयानबाजी में लक्ष्मण रेखा पार करने का यह मुद्दा एक बार फिर गरम है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोध कांत सहाय (Subodh Kant Sahay) के कारण ऐसा हुआ है। उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को हिटलर की मौत मरने की बददुआ दी है। इसके पहले भी कांग्रेस के बड़े से लेकर छुटभैया नेता तक कुछ ऐसी ही बयानबाजी कर सेल्फ गोल कर चुके हैं। पार्टी को ऐसे बयानों का फायदा होने के बजाय नुकसान हुआ। आइए, जानते हैं कि सुबोध कांत सहाय ने क्‍या कहा और इसके पहले कैसे कांग्रेस नेताओं की भद्दी बयानबाजी उस पर भारी पड़ी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय सोमवार को सारी मर्यादाएं लांघ गए। अग्निपथ स्‍कीम और राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के खिलाफ कांग्रेस के सत्याग्रह को लेकर पीएम के ल‍िए उन्‍होंने बेहद आपत्तिजनक बयान दिया। सहाय बोले, ‘यह लुटेरों की सरकार है। मोदी मदारी के रूप में इस देश में तानाशाह के तौर पर आ गए हैं। मुझे तो लगता है कि उन्होंने हिटलर का सारा इतिहास पार कर लिया। मोदी हिटलर की राह चलेगा तो हिटलर की मौत मरेगा। यह याद कर लेना मोदी।’ सहाय ने यह भी कहा कि मोदी से आंख में आंख डालकर बात करने वाला कोई व्यक्ति है तो वह राहुल गांधी हैं। मोदी उन्हें गीदड़ भभकी से डराना चाहते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि झारखंड की सरकार गिराने के लिए केंद्र सरकार की ओर से रोजाना छापेमारी कराई जा रही है।

इस बेहूदा बयानबाजी पर रिऐक्‍शन होना ही था। यहां तक कांग्रेस ने भी इससे किनारा कर लिया। सहाय के बयान पर विवाद खड़ा होते ही कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया। उन्‍होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार की तानाशाही विचारधारा और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ निरंतर लड़ती रहेगी। लेकिन, प्रधानमंत्री के प्रति किसी भी अमर्यादित टिप्पणी से हम सहमत नहीं हैं। हमारा संघर्ष गांधीवादी सिद्धांतों और तरीके से ही जारी रहेगा।’

कुछ रोज पहले कांग्रेस की नागपुर यूनिट के पूर्व अध्‍यक्ष शेख हुसैन ने पीएम को गाली दी थी। महाराष्ट्र के नागपुर में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुसैन ने कहा था कि जैसे कुत्‍ते की मौत होती है, वैसे नरेंद्र मोदी की मौत होगी। मंच पर खड़े होकर उन्‍होंने यह बात कही थी। जब हुसैन यह बोले थे तो कइयों ने ताली भी बजाई थी। राहुल से ईडी की पूछताछ की पृष्‍ठभूमि में हुसैन ने यह बयान दिया था। बाद में हुसैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। हुसैन 2002 से 2007 तक नागपुर शहर कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं।

किसी शीर्ष कांग्रेसी का पीएम को टारगेट करने का यह पहला मौका नहीं है। इसके पहले भी मोदी के खिलाफ बेहूदे बयान दिए गए। लेकिन, इन बयानों ने बैकफायर किया। आपको 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव की याद दिलाते हैं। तब सोनिया गांधी ने मोदी को मौत का सौदागर करार दिया था। उनकी टिप्‍प्‍णी के बाद भारी राजनीतिक बवाल हुआ था। चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्‍त मिली थी।

15 अक्‍टूबर 2019 को कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने मोदी को भोंपू और जेबकतरा बताया था। तब राहुल गांधी महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करने पहुंचे थे। इस दौरान राहुल बोले थे, ‘पीएम मोदी अडानी और अंबानी के भोंपू हैं। एक जेबकतरे की तरह जो चोरी से पहले लोगों का ध्यान बांटता है, उनका सिर्फ एक काम आपका ध्यान बांटना है

मोदी ने गालियों को अपने पक्ष में भुनाया, कांग्रेस का बिगड़ा हाल
ऊपर कुछ ही उदाहरण हैं। ऐसे और भी वाक्‍ये हैं जब कांग्रेस के तमाम नेताओं ने प्रधानमंत्री को निशाने पर लेते हुए अपशब्‍द कहे। यह और बात है कि पीएम मोदी पर उन गालियों का कोई असर नहीं हुआ। अलबत्‍ता, उन्‍होंने इन गालियों को अपनी ताकत बनाया। जनसभाओं में इन्हीं का जिक्र कर लोगों की सहानुभूति बंटोरी। इसके उलट ऐसे बयानबाजी का कांग्रेस को खामियाजा भुगतना पड़ा। 2014 के बाद से वह केंद्र की सत्‍ता से बाहर है। एक के बाद एक उसके हाथों से तमाम राज्‍य भी निकलते गए हैं। नौबत यह आ गई है कि विपक्ष का नेतृत्‍व करने को लेकर भी कांग्रेस पर सवाल खड़े होने लगे हैं। उसको बीजेपी विरोधी अन्‍य दलों मसलन टीएमसी और आम आदमी पार्टी से कड़ी टक्‍कर मिल रही है। ये पार्टी विपक्ष का नेतृत्‍व करने के लिए दम भर रही हैं।

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