मुंबई : भाजपा ने एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री पद तो सौंप दिया, लेकिन यह सुनिश्चित किया कि कुछ अहम विभाग उसके पास ही रहें। देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को शिंदे के तहत उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जो राज्य और सरकार में पार्टी के हितों की रक्षा करने में खास भूमिका निभाएंगे। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने माना कि ऐलान से पहले किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि शिंदे नए मुख्यमंत्री होंगे। बीजेपी नेता ने कहा, “यह राज्य के नेताओं के लिए झटका था। दो दिन पहले तक हम फडणवीस के सीएम बनने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन लगता है कि केंद्रीय नेतृत्व की ओर से निर्णय को बदल दिया गया। दरअसल, ठाकरे ने बागी विधायकों से अपील की और उन्हें सीएम के रूप में पदभार संभालने की पेशकश कर दी थी। यह महत्वपूर्ण मोड़ था।”
बताया जा रहा है कि पावर-शेयरिंग फॉर्मूला और समझौते को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से अंतिम रूप दिया गया, जो शुरू से ही शिंदे के विद्रोह पर नजर बनाए हुए थे। एकनाथ शिंदे गुट को 15 मंत्री पद मिलने की संभावना है, जबकि भाजपा को गृह, वित्त, कृषि, राजस्व, पीडब्ल्यूडी, स्कूली शिक्षा, पर्यावरण जैसे प्रमुख विभाग मिल सकते हैं। इस तरह भाजपा यह सुनिश्चित करना चाहेगी कि विकास संबंधी कार्य उसके पास रहें। देखा जाए तो सरकार के शुरुआती फैसलों में आरे में मेट्रो कारशेड बनाने के ठाकरे के फैसले को वापस लेना भी शामिल है, जो भाजपा की छाप का साफ संकेत है। 2014 की भाजपा-शिवसेना सरकार के दौरान जूनियर पार्टनर को 12 विभाग दिए गए थे, लेकिन उनमें से कोई भी महत्वपूर्ण नहीं था, जिसके कारण शिवसेना में काफी नाराजगी थी। भाजपा के एक नेता का कहना है कि इस बार एकनाथ शिंदे बेहतर सौदेबाजी की स्थिति में हैं।
गृह मंत्रालय भाजपा और शिंदे खेमे के बीच विवाद की जड़ हो सकता है। फडणवीस ने अपनी सरकार के पांच साल तक विभाग को संभाला और पुलिस बल पर उनकी पूरी कमान थी। यह देखना होगा कि क्या शिंदे भाजपा को गृह विभाग देने के लिए सहमत होते हैं या नहीं। ध्यान रहे कि शिंदे गुट के 50 बागी विधायकों में से 9 एमवीए सरकार में मंत्री थे।