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उद्धव ठाकरे का वोट बैंक तोड़ेंगे राज? BMC चुनाव में BJP चल सकती है बड़ा दांव

मुंबई : बृह्नमुंबई महानगरपालिका यानी BMC के चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में महाराष्ट्र में एक और सियासी बदलाव आकार लेता दिख रहा है। खबर है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और भारतीय जनता पार्टी के बीच चुनाव के लिए गठबंधन को लेकर चर्चाएं जारी हैं। हालांकि, इसे लेकर दोनों दलों की तरफ से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन लगातार हो रही हाईप्रोफाइल मुलाकात ऐसे संकेत दे रही हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले मनसे प्रमुख राज ठाकरे से उनके आवास शिवतीर्थ पर मिले। इससे एक दिन पहले ही भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने भी राज से मुलाकात की थी। जबकि, मनसे प्रमुख राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलने मलाबार स्थित आवास पर पहुंचे थे। कहा जा रहा है कि भाजपा का मानना है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट और राज की पार्टी के साथ वह सेना के मराठी वोट बैंक को अपना बना सकते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि बीएमसी चुनाव को लेकर फिलहाल दोनों दलों के बीच चर्चाएं शुरुआती दौर में हैं। राज में भाजपा को एक प्रखर वक्ता नजर आता है, जो उद्धव ठाकरे और संभाजी ब्रिगेड को आक्रामक होकर टक्कर दे सकता है। इसके अलावा वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस को भी हराना जानते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, एक भाजपा नेता ने कहा, ‘हो सकता है कि राज ठाकरे सीटें न जीत सकें, लेकिन भाजपा के लिए उनकी रैलियां महाविकास अघाड़ी के खिलाफ माहौल तैयार करने में मदद करेंगी।’ उन्होंने यह भी बताया कि मनसे प्रमुख की 10-12 बड़ी रैलियां फायदेमंद साबित हो सकती हैं।

एक मनसे पदाधिकारी का कहना है, ‘मनसे बीएमसी चुनाव लड़ना चाहती है, लेकिन भाजपा और शिंदे गुट के साथ गठबंधन उचित होना चाहिए।’ पार्टी के एक अन्य नेता कहते हैं, ‘राज साहेब भाजपा के सामने सरेंडर नहीं करेंगे। यह उनकी शर्तों पर होगा।’ वहीं, भाजपा रणनीतिकार ने कहा, ‘कुल 227 सीटों में भाजपा मनसे को 25-30 सीट की पेशकश कर सकती है, क्योंकि उसे शिंदे गुट को भी जगह देनी है।’

साल 2017 के बीएमसी चुनाव में भाजपा के खाते में 82 सीटें आई थी। जबकि, यह आंकड़ा शिवसेना के मामले में 84 पर था। उस दौरान मनसे ने 7 सीटें जीती थीं। हालांकि, दो साल बाद ही हुए विधानसभा चुनाव में मनसे केवल एक ही सीट जीत सकी थी। ऐसे में राज्य की सियासत में एक बार फिर पैर जमाने के लिए यह मनसे के सामने मौका हो सकता है।

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