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मध्य प्रदेश में सूखे के आसार, शिवराज पहुंचे महाकाल

उज्जैन। मध्य प्रदेश में बीते माह अगस्त में बारिश के दौर पर लगे ब्रेक के कारण सूखे के हालात बनने लगे हैं। खेती-किसानी प्रभावित हो रही है तो आने वाले समय के संकट की आहट भी सुनाई देने लगी है। लिहाजा देवताओं को प्रसन्न करने का दौर भी शुरू हो गया है। राज्य में अच्छी बारिश हो, इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं उज्जैन में बाबा महाकाल के दरबार पहुंचे और विशेष पूजा अर्चना की।

राज्य में हुई बारिश की स्थिति पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि अगस्त माह में राज्य में बहुत कम बारिश हुई है। इस अल्प वर्षा के चलते फसलें भी प्रभावित हो रही हैं और खरीफ की फसलों पर संकट गहराने लगा है। मुख्यमंत्री चौहान ने रविवार की रात को तमाम अधिकारियों के साथ बैठक की और वर्तमान हालात की समीक्षा की और निर्देश दिए कि किसानों की जरूरत को ध्यान में रखकर आवश्यक कदम उठाए जाएं।

इसी क्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार को उज्जैन पहुंचे और उन्होंने यहां उत्तम जलवृष्टि की कामना के लिए महारुद्र अनुष्ठान किया। चौहान ने यहां भगवान महाकालेश्वर का पंचामृत पूजन किया और यहां 66 ब्राह्मण के माध्यम से महारुद्र अनुष्ठान के 1331 रूद्र पाठ किए जा रहे हैं।

वर्तमान में भादो मास चल रहा है। श्रावण-भादो मास में महारुद्र पाठ का अधिक महत्व है। इसी के तहत शिवराज सिंह चौहान ने यह विशेष अनुष्ठान किया है। मुख्यमंत्री चौहान ने महाकाल बाबा के दरबार में पूजन करने के बाद संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा, “उन्होंने बाबा महाकाल के दरबार में विशेष पूजा अर्चना कर प्रार्थना की है कि अल्प वर्षा के कारण लगभग पूरा सूखा हो गया है और इसलिए सुखे की स्थिति मध्य प्रदेश में पैदा हो रही है और फसलों पर संकट छाया है, बाबा कृपा की वर्षा करें, अच्छी वर्षा हो जाए, फसलें बच जाए और किसानों का भी कल्याण हो।”

मुख्यमंत्री चौहान ने प्रदेशवासियों से भी अपील की है कि वह जिस गांव में और शहर में हैं और वहां की जो परंपराएं हैं वहां भी अपनी परंपराओं का निर्वहन करें, सभी अच्छी वर्षा के लिए प्रार्थना करें, प्रार्थना सुनी जाती है, प्रार्थना में असर होता है। सच्चे दिल से प्रार्थना की जाय तो भगवान कृपा की वर्षा करते हैं।

सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए चौहान ने कहा, “आमजन और किसानों की सेवा करने में किसी तरह की कसर नहीं छोडी जाएगी, वर्तमान में जो स्थितियां हैं, उसकी समीक्षा के लिए बीते रोज अधिकारियों के साथ बैठक की है और यह भी निर्देश दिए हैं कि बांधों से पानी छोड़कर जो फसलें बचाई जा सकती हैं, उन बांधों से पानी छोड़ा जाए।”

वहीं वर्षा नहीं होने के कारण बिजली का संकट भी पैदा हो गया है। सावन भादौ में इतनी बिजली की जरूरत नहीं पड़ती थी क्योंकि ट्यूबवेल नहीं चलते थे, मोटर नहीं चलता था, किसानों को पानी आसानी से मिलता रहता था। पानी की बिजली भी प्रचुर मात्रा में बनती थी। इस समय आठ हजार मेगावाट की जरूरत पड़ती थी लेकिन इस बार 15 हजार मेगावाट बिजली की मांग है, इसलिए मांग और आपूर्ति में अंतर पैदा हो गया। इसलिए कुछ जगह किसानों को कम बिजली मिल पा रही है।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जहां-जहां से बिजली मिल सकती है, वहां से बिजली ली जाए।

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