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लंबा हुआ आर्थिक पैकेज का इंतजार! सरकार Covid के आंकड़े खंगालने के बाद लेगी फैसला

कोरोना महामारी की दूसरी लहर से देश बाहर निकल रहा है, लेकिन आर्थिक रूप से देश की कमर टूट चुकी है, करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई हैं, बिजनेस बर्बाद हो चुके हैं, इकोनॉमी भी बेहद बुरे दौर से गुजर रही है, ऐसे में सवाल पूछा जाना लगा है कि सरकार की आर्थिक पैकेज को लेकर तैयारी कहां तक पहुंची है, क्योंकि तीसरी लहर भी कुछ हफ्तों में दस्तक देने वाली है.

कोविड डेटा से तय होगा आर्थिक पैकेज

इसका जवाब वित्त मंत्रालय के प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर संजीव सान्याल ने दिया है, उनका कहना है कि केंद्र सरकार कोविड-19 संक्रमण के 6 हफ्तों के डेटा का बारीकी से निरीक्षण करेगी और फिर किसी आर्थिक दखल को तय करेगी, न कि महामारी की तीसरी लहर के अनुमानों के आधार पर इसका ऐलान किया जाएगा. संजीव सान्याल का ये बयान सरकार की खराब योजना को लेकर हुई आलोचनाओं पर आया है, जिसकी वजह से लोगों ओर इकोनॉमी को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.

तीसरी लहर के खिलाफ जरूरी कदम उठाने होंगे

उन्होंने कहा कि हम इस समय अनिश्चितता से जूझ रहे हैं, तीसरी लहर आ सकती है, लेकिन वो कैसे आएगी हम नहीं जानते. नीति निर्माता के रूप में हमें तीसरी लहर के खिलाफ कुछ कदम उठाने होंगे, और अगर जरूर हुआ तो मॉनिटरी और वित्तीय दखल देंगे. लेकिन हमें 6 हफ्ते के डेटा को देखने और टेस्टिंग को मॉनिटर करने की जरूरत होगी, बजाय इसके कि ये कैसे बर्ताव करेगा. उन्होंने कहा कि हम पहले भी कुछ कदम उठा चुके हैं.

कई सेक्टर मुश्किल में हैं

कुछ सेक्टर्स में सुधार हो चुका है लेकिन कुछ सेक्टर्स जैसे टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी अब भी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. अगर हम एक जेनराइज्ड दखल देते हैं तो डिमांड और ग्रोथ तो बढ़ जाएगी लेकिन महंगाई को लेकर समस्या खड़ी हो जाएगी. सरकार वास्तविक डेटा पर तुरंत काम करना चाहेगी न कि अनुमानों के आधार पर. उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन को लेकर योजना और पूर्वानुमान काम करेंगे, ये इकलौता रास्ता है लॉकडाउन की स्थिति से बाहर निकलने का, और देश वापस लॉकडाउन के कड़े प्रतिबंधों में जाना नहीं चाहता.

नीति आयोग कर रहा है पैकेज पर काम!

आपको बता दें कि नीति आयोग इकोनॉमी के फोकस एरिया पर काम कर रहा है, एक बार जब नीति आयोग कोई प्लान तैयार कर लेगा, वित्त मंत्रालय उस पर फैसला करेगा. महामारी का इकोनॉमी पर असर कम करने के लिए RBI ने भी चरणद्ध तरीके से कई राहत पैकेजों का ऐलान किया था, जिससे इसकी कुल वैल्यू 30 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई थी, जो कि देश की कुल जीडीपी का 15 परसेंट है.

पिछले साल 2020 में कोरोना महामारी से प्रभावित इकोनॉमी को सहारा देने के लिए केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज का ऐलान किया था. सरकार का ये राहत पैकेज कुल 27.1 लाख करोड़ रुपये का था, जो कि कुल जीडीपी का 13 परसेंट से भी ज्यादा था. सबसे पहले केंद्र सरकार ने मार्च 2020 में गरीबों और कमजोर वर्ग को महामारी के प्रभाव से बचाने के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना  (PMGKP) का ऐलान किया.

आत्मनिर्भर भारत पैकेज 3.0

फिर इसके बाद आत्मनिर्भर भारत योजना का ऐलान मई 2020 में हुआ. जिसका ज्यादातर फोकस सप्लाई साइड बिंदुओं और लंबी अवधि रिफॉर्म को लेकर था. आत्मनिर्भर भारत 3.0 के तहत सरकार ने नवंबर 2020 में दिवाली से पहले भी 2.65 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था. जिसमें से 1.45 लाख करोड़ रुपये मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में जान फूंकने के लिए दिया गया.

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