आयोग ने कैबिनेट सचिव सिन्हा को लिखे पत्र में कहा है कि मंत्रालयों ने आयोग की अनुमति के बगैर कुछ ऐसे फैसले किए जिससे पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के दौरान सभी पार्टियों को मिलने वाला समान अवसर प्रभावित हो सकता है। आयोग ने खासतौर पर वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और रक्षा मंत्रालय का जिक्र करते हुए कहा है कि उन्होंने आचार संहिता लागू होने के दौरान अहम मामलों को आयोग के पास नहीं भेजा। गौरतलब है कि आचार संहिता 4 जनवरी को ही लागू हो गई थी और यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा व मणिपुर में विधानसभा चुनाव खत्म होने तक प्रभावी रहेगी।
आयोग ने चुनाव वाले पांचों राज्यों में बगैर अनुमति लिए विशेष ग्राम सभाएं आयोजित करने के लिए 20 जनवरी को नीति आयोग की भी खिंचाई की थी और कहा था कि ऐसे कार्यक्रम चुनाव खत्म होने के बाद ही आयोजित किए जाने चाहिए। उसी दिन आयोग ने रक्षा मंत्रालय को उत्तराखंड में संयुक्त कमांडर सम्मेलन के आयोजन की अनुमति दी थी। हालांकि, आयोग ने मंत्रालय को इस शर्त के साथ अनुमति दी थी कि सम्मेलन का उद्घाटन करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यक्रम को राज्य में होने वाली रैली से नहीं जोड़ेंगे। कांग्रेस ने आयोग से शिकायत की थी कि भाजपा इस कार्यक्रम का इस्तेमाल पूर्व एवं सेवारत सैनिकों को प्रभावित करने के लिए कर सकती है ताकि पांच राज्यों में होने जा रहे चुनावों में इसका फायदा उठाया जा सके।