उत्तर प्रदेशलखनऊ
दूषित पानी पर वेस्ट यूपी के 6 जिलों में हैंडपंप सील करने के निर्देश
दस्तक टाइम्स/एजेंसी- उत्तर प्रदेश: मेरठ. एनजीटी ने तीन महीने के अंदर वेस्ट यूपी के मेरठ, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और सहारनपुर के छह जिलों में उन हैंडपंपों को सील करने के निर्देश यूपी सरकार को दिए हैं जो दूषित पानी दे रहे हैं। एनजीटी ने इस संबंध में गठित कमिटी को अपनी रिपोर्ट तीन महीने में देने के लिए कहा है।
कमिटी यह रिपोर्ट भी देगी कि भूमिगत पानी के दूषित होने की वजह क्या है और कैसे दूषित पानी को साफ किया जाए। इस संबंध में गठित की गई कमिटी में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्तर प्रदेश जल निगम को शामिल किया गया है। न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एनजीटी पीठ ने यह आदेश गुरुवार को दिए हैं। यह सुनवाई दोआब पर्यावरण समिति की ओर से डाली गई याचिका के संबंध में दिया गया है।
साफ पीने का पानी उपलब्ध कराने और उसका रिकार्ड रखने के निर्देश
दोआब पर्यावरण समिति के अध्यक्ष डा. चंद्रवीर सिंह ने बताया कि गुरुवार को सुनवाई के दौरान एनजीटी ने ग्रामीणों के हक में बेहद ही महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। जब तक गांवों में दूषित पानी की समस्या का समाधान नहीं होता तब तक वहां स्वच्छ पीने का पानी टैंकरों से उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। साथ ही संबंधित जिलों के डीएम, एसडीएम और सीईओ को यूपी जल निगम को उपलब्ध कराए जाने वाले पानी का रिकॉर्ड रखने के लिए कहा है। टैंकों से पीने के पानी की आपूर्ति पर उन टैंकरों में जीपीएस सिस्टम लगाकर मानीटरिंग करने के लिए भी कहा गया है, ताकि वह अपनी गलत रिपोर्ट न दे सके।
दोआब पर्यावरण समिति के अध्यक्ष डा. चंद्रवीर सिंह ने बताया कि गुरुवार को सुनवाई के दौरान एनजीटी ने ग्रामीणों के हक में बेहद ही महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। जब तक गांवों में दूषित पानी की समस्या का समाधान नहीं होता तब तक वहां स्वच्छ पीने का पानी टैंकरों से उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। साथ ही संबंधित जिलों के डीएम, एसडीएम और सीईओ को यूपी जल निगम को उपलब्ध कराए जाने वाले पानी का रिकॉर्ड रखने के लिए कहा है। टैंकों से पीने के पानी की आपूर्ति पर उन टैंकरों में जीपीएस सिस्टम लगाकर मानीटरिंग करने के लिए भी कहा गया है, ताकि वह अपनी गलत रिपोर्ट न दे सके।
ग्राम पंचायतों से योगदान ले सरकार
एनजीटी ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि प्रदेश सरकार उन गांवों में जहां दूषित पानी है वहां की ग्राम पंचायतों से भी मदद ले। ताकि, हर गांव में खराब पानी की जानकारी मिल सके और वहां साफ पानी की उपलब्धता कराई जा सके। ग्राम पंचायतों के माध्यम से ग्रामीणों की जरूरत के हिसाब से पीने का पानी उपलब्ध कराने की बात कही गई है।
एनजीटी ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि प्रदेश सरकार उन गांवों में जहां दूषित पानी है वहां की ग्राम पंचायतों से भी मदद ले। ताकि, हर गांव में खराब पानी की जानकारी मिल सके और वहां साफ पानी की उपलब्धता कराई जा सके। ग्राम पंचायतों के माध्यम से ग्रामीणों की जरूरत के हिसाब से पीने का पानी उपलब्ध कराने की बात कही गई है।
दोआब पर्यावरण समिति के अध्यक्ष डॉ. चंद्रवीर सिंह ने बताया कि हिंडन और काली नदी के किनारे बसे करीब 350 गांवों में हैंडपंपों से दूषित पानी निकल रहा है। इसकी वजह से इन गांवों में लोग बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। अकेले बागपत जिले में ही पिछले दो साल में कैंसर से करीब 80 लोगों की मौत हो चुकी है। काली नदी किनारे बसे गांवों में भी बीमारी का यही हाल है। दौराला ब्लॉक के कई गांव जो काली नदी के किनारे बसे हैं उनमें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी अपने पैर पसारे हुए है।
डॉ. चंद्रवीर सिंह ने बताया कि दूषित पानी को लेकर उन्होंने अपनी पहली याचिका एनजीटी में नवंबर 2014 में दायर की थी। उसके बाद हिंडन और काली नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर उन्होंने मार्च 2015 में एनजीटी में याचिका दायर की थी।