अन्तर्राष्ट्रीय

दुबई में जहाज पर 18 महीने से फंसे आठ भारतीय नाविकों ने लगाई मदद की गुहार

  • 18 महीने से फंसे हैं 8 भारतीय।
  • नहीं मिल रही कोई मदद।
  • फोन और वीडियो के जरिए मांग रहे मदद।
आठ भारतीय नाविक पिछले 18 महीने से बिना वेतन के दुबई में एक जहाज में फंसे हुए हैं। नाविकों के पास संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का वीजा नहीं है। इस कारण वे जहाज से उतर नहीं सकते हैं। नाविकों ने सरकार से उन्हें बाहर निकालने का आग्रह किया है।

दुबई में जहाज पर 18 महीने से फंसे आठ भारतीय नाविकों ने लगाई मदद की गुहार

इस जहाज में कुल 10 नाविक हैं। 8 नाविक भारतीय हैं और बाकी के दो सुडान और तंजानिया से हैं। आठ में से दो रमेश गदेला और याला राओ आंध्र प्रदेश से हैं। बाकी भारतीय लोगों में कप्तान अय्यपन स्वामीनाथन, भरत हरिदास और गुरुनाथन गणेशन तमिलनाडु से हैं। आलोक पाल उत्तर प्रदेश राज्य से हैं, नस्कर सौरभ पश्चिम बंगाल और राजिब अली असम से हैं।

इस जहाज को संयुक्त अरब अमीरात के तट रक्षक ने 15 अप्रैल, 2016 को हिरासत में ले लिया था। नाविकों के पासपोर्ट और सीमैन की किताबें भी जब्त कर ली गईं। जहाज में फंसे नाविकों ने बताया कि कंपनी ने उन्हें बिना वेतन, भोजन एवं ईंधन के छोड़ दिया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अयप्पन स्वामीनाथन ने फोन पर कहा, “यह ऐसा है जैसे हम गुलाम हैं, जिन्हें छोड़ दिया गया है। हम दयनीय जीवन जी रहे हैं और घर नहीं लौट सकते क्योंकि प्रबंधन से हमें कोई संकेत नहीं मिला है। हमें कई महीने से सैलरी भी नहीं मिली है।”

वहीं रमेश ने एक वीडियो के जरिए कहा, “हमें अपने देश पहुंचने के लिए मदद की जरूरत है।” यह वीडियो शाहीन सईद ने संबंधित अधिकारियों को भेज दी है। मानव अधिकारों के लिए लड़ने वाले सईद जस्टिस अपहेल्ड के साथ काम कर रहे हैं। यह एक अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी संगठन है।
हाल ही में तमिलनाडु में आए गाजा तूफान से कप्तान स्वामीनाथन के परिवार को काफी नुकसान झेलना पड़ा है। तूफान के कारण उनका घर पूरी तरह बर्बाद हो गया है। स्वामीनाथन का कहना है, “मेरा परिवार बड़ी मुश्किलों को झेलने के बाद जीवित है। लेकिन मैं उन्हें कोई पैसा नहीं भेज पाया।”

इन नाविकों की भर्ती मुंबई स्थित रासिया शिपिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, ओथ मेराइन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और कृष्णाम्रुथम इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड ने की थी। जहाज का प्रबंधन करने वाली कंपनी को वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ा जिसके चलते उन्हें पैसे भी नहीं दिए गए। अब क्रू मेंबरों को स्वास्थ्य दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें खाने में भारत के वाणिज्य दूतावास से काफी कम सामान मिल रहा है। अयप्पन का कहना है कि हर कोई उनकी दुर्दशा के बारे में जानता है फिर भी उन्हें ये सब झेलना पड़ रहा है।

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