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देहरादून: 500 लोगों ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यु, जानिए पूरा मामला

देहरादून । राजधानी से तीस किलोमीटर दूर विकासनगर कस्बे के शीशमबाड़ा में कूड़ा निस्तारण प्लांट की दुर्गंध से परेशानी पांच सौ लोगों ने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु मांगी है। इस बीच, तीन लोग प्लांट के समक्ष आमरण अनशन पर बैठ गए। चेताया कि समस्या का हल नहीं निकला तो सामूहिक रूप से आत्मदाह करेंगे।

सेंट्रल होपटाउन क्षेत्र के शीशमबाड़ा में नगर निगम का कूड़ा निस्तारण का प्लांट है। स्थापना के बाद से ही लोग इसका विरोध कर रहे हैं। प्लांट में कूड़ा निस्तारण के समुचित प्रबंधन होने के कारण इलाके में दुर्गंध बढ़ती जा रही है। इससे लोग परेशान हैं। यहां आसपास रहने वाले लोग काफी संख्या में सोमवार को प्लांट पहुंचकर अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन किया। क्षेत्रवासियों का कहना था कि कूड़ा निस्तारण प्लांट से उठने वाली दुर्गंध के कारण उनका जीना दुश्वार हो गया है। आसपास के वातारण में जहर घुलने से लोगों के सेहत खराब होने की आशंका गहरा रह है। इससे बीमारियां भी फैल रही हैं।

उन्होंने नायब तहसीलदार पंचम सिंह के माध्यम से अपनी मांगों के समर्थन में राष्ट्रपति का ज्ञापन भेजा। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही है। स्थानीय लोगों ने प्लांट को अन्यत्र शिफ्ट करने की मांग उठाई है, साथ ही कहा कि अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो पांच सौ लोगों को इच्छामृत्यु की अनुमति दे दी जाए। ज्ञापन देने वालों में रविकांत सिंघल, मिट्ठन लाल, संदीप भंडारी, सचिन, उमा पंवार, सपना शर्मा, विनीता भंडारी, सावित्री देवी, कुसुमलता भटट, रजनी चतुर्वेदी शामिल रहे।

आमरण अनशन शुरू

सोमवार को कूड़ा निस्तारण प्लांट के गेट के समक्ष तीन लोगों शशि कुमार, रविकांत सिंघल और सतपाल ने इसी मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू कर दिया है। कहा, जब तक सरकार प्लांट को यहां से नहीं हटाती, तब तक अनशन जारी रहेगा ।

प्लांट के विरोध में ग्रामीण भी उतरे सड़क पर

शीशमबाड़ा प्लांट को लेकर शुरू हुए विरोध के बाद शीशमबाड़ा गांव के ग्रामीण भी सड़क पर आ गए। ग्रामीणों ने अनशनकारियों के समर्थन में प्लांट में पहुंचकर नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया। इसके साथ ही उन्होंने प्लांट को हटाए जाने के लिए आर पार की लड़ाई लडऩे का ऐलान भी किया।

सेंट्रल होपटाऊन के निवासियों द्वारा प्लांट के विरोध में राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग व आमरण अनशन शुरू करने के बाद शीशमबाड़ा गांव के लोगों ने भी प्लांट पर पहुंचकर आंदोलन कर रहे लोगों का समर्थन किया। ग्रामीणों ने प्लांट के मुख्यद्वार पर प्रदर्शन करते हुए सरकार से कूड़ा घर को हटाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा सेंट्रल होपटाऊन के लोगों द्वारा किए जा रहे आंदोलन में अब वे भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ेंगे। लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहे कूड़ाघर को शिफ्ट करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा अब इस मुद्दे पर आरपार की लड़ाई लड़ने के लिए सेंट्रल होपटाऊन के लोगों के साथ मिलकर एक योजना बनाकर आंदोलन किया जाएगा। प्रदर्शन करने वालों में रहमान, शाहरुख, सोनू, फुरकान, मोहसिन, हितेश, आबिद, जुल्फिकार, मोबीन, ऋतिक, मुकेश शामिल रहे।

दुर्गंध के कारण खाना गले से नीचे नहीं उतरता

देहरादून में एकत्रित होने वाले कूड़े को निस्तारित करने के लिए शीशमबाड़ा में बनाए गए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट से उठती दुर्गंध लोगों के जेहन से उतर नहीं रही। सेंट्रल होपटाऊन के लोगों की माने तो दुर्र्गंध के कारण खाना गले से नीचे नहीं उतर रहा है। सरकार लोगों की परेशानियां हल करने को तैयार नहीं है। ऐसे में राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग न करें तो क्या करें।

क्षेत्रवासी सपना शर्मा, बीना बमराड़ा, व्यापार मंडल अध्यक्ष चैतन्य अनिल गौड़, पूर्व ग्राम प्रधान भगत सिंह राठौर, कांग्रेस नेता आकिल अहमद आदि का कहना है कि प्लांट से उठती दुर्गंध के कारण खाना गले से नहीं उतरता। मॉर्निंग व ईवनिंग वॉक में भी शुद्ध हवा के बजाय दुर्गंध ही अंदर आ रही है। प्लांट से उठने वाली दुर्गंध अब बर्दाश्त के बाहर हो गयी है। इसके कारण उल्टी आना, आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानियां प्लांट के समीप रह रहे क्षेत्रवासियों को हो रही है। मक्खी-मच्छर व अन्य हानिकारक कीट पतंगों की संख्या में इजाफा होने की वजह से सब परेशानी में हैं। स्थानीय लोग सरकार के मुखिया से लेकर नगर विकास मंत्री, नगर निगम के मेयर व तमाम आला अधिकारियों से दुर्गंध को रोकने के उपाय करने की मांग लंबे समय से करते आ रहे हैं। लेकिन बावजूद इसके उनकी समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है। जिसके चलते लोगों में प्लांट के विरोध में नाराजगी बढ़ती ही जा रही है।

क्या है पूरा मामला

शीशमबाड़ा में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की नींव वर्ष 2009 में रखी गई थी। जिसके बाद 2014 में प्लांट के निर्माण को एनजीटी की मंजूरी मिलने के बाद प्लांट का निर्माण शुरू हो पाया। लगभग 13 महीने बाद बनकर तैयार हुए प्लांट में क्षेत्रवासियों के भारी विरोध, प्रदर्शन, पथराव व लाठीचार्ज के बीच अक्तूबर 2016 को कूड़े के निस्तारण केंद्र का शिलान्यास कर दिया गया। इसके पश्चात लगभग सवा आठ एकड़ में फैले प्लांट में कूड़ा निस्तारण की प्रक्रिया जनवरी 2018 को उद्घाटन के बाद प्रारंभ कर दी गई, लेकिन प्लांट को लेकर क्षेत्रवासियों का विरोध जारी रहा। कूड़े की प्रोसेसिंग के दौरान हवा में तैरने वाली दुर्गंध ने प्लांट का विरोध कर रहे लोगों की नाराजगी को और अधिक बढ़ा दिया।

विधायक भी दे चुके प्लांट प्रबंधन को चेतावनी

विधायक सहदेव सिंह पुंडीर भी इस मामले को लेकर कई बार प्लांट प्रबंधन को चेतावनी दे चुके हैं। उनका कहना है कि इस मामले में वे अपने क्षेत्र की जनता के साथ हैं। प्लांट प्रबंधन को बार-बार दुर्गंध रोकने के लिए किए जाने वाले कीटनाशकों के छिड़काव आदि की व्यवस्था करने को कहा गया है, लेकिन देखने में यह आ रहा है कि प्रबंधन इस मामले में बेहद लापरवाह बना हुआ है। वे सरकार से प्लांट को यहां से हटाए जाने के लिए बात करेंगे।

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