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प्रेम का इजहार करने के लिए दुनिया में कैसे शुरू हुई वेलेंटाइन डे की परम्‍परा?

दस्तक टाइम्स एजेंसी/ v-day-300x200आज दुनियाभर में प्‍यार के इजहार का पर्व वेलेंटाइन डे मनाया जा रहा है. इस दिन प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे को लाल गुलाब देकर अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं.पश्चिम के देशों से प्रचलित हुई यह परम्‍परा धीरे-धीरे भारत में भी शुरू हो गई. हालांकि, भारत में शुरू से ही इसका तीखा विरोध किया जाता रहा है. कुछ हिन्‍दूवादी और कट्टर मुस्लिम संगठन इसे सभ्‍यता का पतन बताते हुए इसका विरोध करते हैं, बावजूद इसके वेलेंटाइन डे मनाने वालों की तादाद तेजी से बढ़ती जा रही है.

प्रेम की भावनाओं को दबाने के लिए जो गलती तीसरी शताब्दी में रोम के सम्राट क्लॉडियस ने की थी, वैसी ही गलती अब भी कुछ संगठन भारत में कर रहे हैं. वे इस दिन प्रेमी जोड़ों को न सिर्फ मारते-पीटते हैं, बल्कि जबरन उनका विवाह कराने जैसी खबरें भी आती रहती है.

वहीं हर साल कुछ संत और संगठन इस दिन को युवाओं और बच्‍चों से मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मानने की अपील करते दिखते हैं.

वहीं कुछ मुस्लिम संगठनों ने भी वेलेंटाइन डे को इस्लाम विरोधी बताया है और युवाओं से इसे न मनाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि यह मुस्लिम परम्‍परा का हिस्सा नहीं, बल्कि पाश्चात्य संस्कृति का हिस्सा है. वेलेंटाइन डे का हमारी संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है और इससे बचना चाहिए.

हालांकि, वेलेंटाइन डे का समर्थन करने वालों की भी कोई कमी नहीं है. जब भी इसके विरोध में आवाज उठती है तो तमाम मानव अधिकार संगठनों से लेकर बड़ी-बड़ी हस्तियां और सैलिब्रिटीज समर्थन में आगे आ जाती हैं.

कैसे शुरू हुई वैलेंटाइन डे की परम्‍परा

रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था. उसके अनुसार विवाह करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि कम होती है. उसने आदेश जारी की कि उसका कोई सैनिक या अधिकारी कभी विवाह नहीं करेगा. संत वेलेंटाइन ने सम्राट क्लॉडियस के इस क्रूर आदेश का विरोध किया.

इसके बाद उन्हीं के आह्वान पर अनेक सैनिकों और अधिकारियों ने विवाह किए. इससे गुस्‍साए क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन् 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया. तभी से उनकी स्मृति में हर साल वेलेंटाइन डे (प्रेम दिवस) मनाया जाता है.

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