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बड़ी खबर: भारत को तेल निर्यात करने वाला दूसरा देश बना ईरान

भारत को तेल आपूर्ति करने के मामले में सऊदी अरब को पछाड़कर ईरान दूसरे पर पहुंच गया है। यह बात चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सामने आई है। इस तरह से ईरान ने सात साल पहले खोए अपने स्थान को एक बार फिर से प्राप्त कर लिया है। अमेरिका ने ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए है। वहीं तेल निर्यात पर ईरान कई तरह की आकर्षक योजनाएं चला रहा है। जिसका भारतीय कंपनिया पूरा फायदा उठा रही हैं क्योंकि नवंबर से ईरान पर अमेरिकी प्रतिंबध प्रभावी हो जाएंगे।बड़ी खबर: भारत को तेल निर्यात करने वाला दूसरा देश बना ईरान

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सोमवार को संसद को बताया कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सरकारी कंपनियों की रिफाइनरीज ने सऊदी अरब की बजाए ईरान से ज्यादा तेल निर्यात किया। जिसकी वजह से सऊदी तीसरे नंबर पर और ईरान दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। ईरान के साथ चल रहे इस कारोबार में भारत के लिए असमंजस की स्थिति भी बनी हुई है क्योंकि ट्रंप प्रशासन ईरान से तेल आयात को कम करने और पूरी तरह से बंद करने के लिए नई दिल्ली पर दबाव बना रहा है।

अप्रैल से जून की अवधि के दौरान तेल कंपनियों ने ईरान से 56.70 लाख टन कच्चे तेल का आयात किया है। यह मात्रा सऊदी अरब से ज्यादा है। ईरान के साथ भारत के बढ़ते कारोबार के बीच दुविधा भी लगातार बढ़ रही है। ईरान से तेल निर्यात को खत्म करने के दबाव पर इंडस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि हमारे पास पर्याप्त समय है। सूत्रों के अनुसार डेडलाइन से पहले ही भारत तेल निर्यात को कम कर देगा और दूसरे जरियों को तलाश लेगा।

ईरान का विकल्प तलाशना कठिन नहीं होगा क्योंकि सऊदी, इराक और कुवैत उस अन्तर को भर सकते हैं। हालांकि कीमतों में इजाफा हो सकता है क्योंकि यह देश ईरान की तरह ऑफर नहीं देंगे। भारतीय रिफाइनरियों की तकनीकी क्षमता काफी समृद्ध है। इस वजह से वह विभिन्न तरह के क्रूड की प्रोसेसिंग करने में भी सक्षम है। भारत की सबसे बड़ी चुनौति तेहरान के साथ अपने सालों पुराने रिश्तों को बनाए रखने और अफ-पाक नीति के तहत आने वाले चाबहार परियोजना से जुड़े वित्तिया/रणनीतिक हित हैं। इसके अलावा अमेरिका के साथ टकराव से भी परहेज करना है।

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