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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने, नीट अध्यादेश पर मांगी राय

neet-ordinance_21_05_2016नई दिल्ली। मेडिकल की साझा प्रवेश परीक्षा नीट से इस साल राज्य सरकार के मेडिकल कॉलेजों को बाहर रखने के लिए प्रस्तावित अध्यादेश पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी कानूनी राय ले रहे हैं। शनिवार को आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि राष्ट्रपति इस अध्यादेश के संबंध में कई मुद्दों पर कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श कर रहे हैं। यदि यह अध्यादेश जारी हो जाता है, तो राज्य बोर्ड के छात्रों को 24 जुलाई को होने वाले नीट के दूसरे चरण में नहीं बैठना पड़ेगा।

इस बीच, केंद्र सरकार ने नीट पर अध्यादेश लाने का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ दिया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि नीट को राज्य सरकार के कॉलेजों में एक साल के लिए टालने का प्रस्ताव कांग्रेस का ही था। अब वही इसके विरोध में भी आगे रहना चाहती है।

सरकार ने शुक्रवार को कैबिनेट में इस पर सहमति बनने के बावजूद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए नहीं भेजा था। वह इसका दूसरा कानूनी रास्ता भी तलाश रही थी।

जेटली ने कहा कि नीट पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने यह प्रस्ताव रखा और इस पर आम राय बनी। उसी के आधार पर सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया। लेकिन अध्यादेश के खिलाफ पहला बयान कांग्रेस का ही आ गया। इस तरह यह अवरोध की राजनीति है, विचार की नहीं।

उल्लेखनीय है कि नीट को लेकर पिछले दो दिनों से ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। मीडिया में इस तरह की खबरें आ रही हैं कि केंद्र सरकार राज्यों के मेडिकल कॉलेजों इससे बाहर रखने के लिए अध्यादेश ला सकती है। दूसरी तरफ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का कहना है कि इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है।

क्या है अध्यादेश में

  • राज्य सरकार के मेडिकल कॉलेजों को नीट के दायरे से बाहर रखने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति के पास एक अध्यादेश भेजा है।
  • इसमें एक साल के लिए राज्यों के मेडिकल कॉलेजों को अपनी परीक्षा खुद लेने का प्रावधान किया गया है।
  • निजी मेडिकल कॉलेजों में राज्य सरकार के कोटे वाली सीटों को भी इस साल नीट से बाहर रखने का प्रस्ताव है।
  • विभिन्न राज्यों ने निजी मेडिकल कॉलेजों में 12-15 फीसद सीटों का सरकारी कोटा तय कर रखा है।
  • निजी कॉलेजों में राज्य कोटे की सीटों पर बाहरी छात्रों का नामांकन होता है। इसके लिए राज्य बोर्ड परीक्षा लेंगे।
  • शेष सीटें स्थानीय छात्रों से भरी जाती हैं। इन सीटों पर छात्रों का नामांकन नीट के जरिये ही लिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल से मेडिकल की सभी सीटों पर नीट के जरिये नामांकन करने का फैसला सुनाया है। अदालत का साफ कहना है कि इसे सभी मेडिकल कॉलेजों में इसी वर्ष से लागू किया जाए। केंद्र सरकार ने भी अदालत में कहा था कि वह इसी साल से नीट लागू करने के लिए तैयार है।

राज्यों की आपत्ति

नीट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कई राज्य विरोध कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक बुलाई थी। इसमें अधिकतर राज्यों ने इसे एक साल के लिए टाल देने का अनुरोध किया था। हालांकि, दिल्ली सरकार इसी साल से नीट को लागू करने के पक्ष में है।

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