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लोगों तक जल्द मदद पहुंचाने को तीन हिस्सों में बंटा यूपी 100

लखनऊ : यूपी 100 पर लगातार बढ़ रही कॉल के मद्देनजर इसे तीन हिस्सों में बांट दिया गया है। लखनऊ में यूपी 100 के मुख्य केंद्र के अलावा प्रयागराज व गाजियाबाद में 50-50 कंप्यूटर की क्षमता के दो ऑपरेशनल मिररिंग सिस्टम शुरू किए गए हैं। जहां 100 व 112 नंबर पर आने वाली कुल कॉल का 15-15 फीसदी कॉल ट्रांसफर की जा रही है। शेष 70 फीसदी कॉल लखनऊ के केंद्र से नियंत्रित की जा रही है। डीजीपी ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि 2017 में 100 नंबर पर आने वाली कॉल का रिस्पांस टाइम 26 मिनट से अधिक था, इसे घटाकर 11 मिनट 49 सेकेंड तक लाया जा चुका है। इसके लिए संसाधनों में बढ़ोतरी की गई। पहले यूपी 100 से 3,200 चार पहिया गाड़ियां जुड़ी थीं। अब इसमें 1600 दो पहिया गाड़ियों को भी जोड़ दिया गया है। डीजीपी ने बताया कि यूपी 100 पर रोजाना 58 हजार कॉल आ रही हैं। इनमें से छह हजार प्रयागराज और साढ़े पांच हजार कॉल गाजियाबाद सेंटर पहुंच रही हैं। शेष 46,500 कॉल लखनऊ में यूपी 100 के मुख्य केंद्र में आ रही हैं।
डीजीपी के मुताबिक यूपी 100 में ज्यादातर कॉल एफआईआर और किसी अधिकारी के फोन नंबर की जानकारी और आकस्मिक सेवा के लिए आती हैं। आकस्मिक सेवा के लिए रोजाना औसतन 16,424 कॉल आती हैं। इनमें से प्रयागराज में 1,750 और गाजियाबाद में लगभग 1,500 कॉल आ रही हैं। वहीं त्यौहारों के समय आकस्मिक कॉल की संख्या दोगुनी हो जाती है। वर्ष 2017 में होली पर 24,259 कॉल आई थी। इस दौरान रिस्पांस टाइम 38 मिनट था। 2018 में इस मौके पर कॉल की संख्या बढ़कर 32,424 हो गई। हालांकि रिस्पांस टाइम में सुधार हुआ और वह 19.35 मिनट हो गया। जबकि वर्ष 2019 में 35,250 कॉल इमरजेंसी में पुलिस सहायता के लिए आई और रिस्पांस टाइम 13.32 मिनट हो गया। डीजीपी ने बताया कि अब जवानों को प्रशिक्षित करने के बाद पुलिस रिस्पांस व्हीकल (पीआरवी) में तैनात किया जा रहा है। इसके तहत विवादों के निस्तारण और महिला संबंधी शिकायतों में रिस्पांस करने के तरीके सिखाए जाते हैं। अब तक 12,129 जवानों को प्रशिक्षित करने के बाद पीआरवी पर तैनात किया जा चुका है।

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