अन्तर्राष्ट्रीय

सामने आया बालाकोट एयरस्ट्राइक का सच, PAK की खुली पोल

बालाकोट में भारतीय वायु सेना द्वारा की गई एयरस्ट्राइक से हुई तबाही को छिपाने के लिए पाकिस्तान ने कई बड़े झूठ बोले. फर्जी तस्वीरों और बयानों के जरिये पाकिस्तान ने दुनिया को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन सच तो यह है कि एयरस्ट्राइक में पाकिस्तान सेना के जवान सहित कई आतंकियों की मौत हुई. इंडिया टुडे की इंवेस्टीगेटिव टीम को बालाकोट के कुछ टेप हाथ लगे हैं. जो जैश के ठिकाने के पास मौजूद मस्जिद में काम करने वाले मोहम्मद नईम के बताए जा रहे हैं. यहां तक कि नईम ने इंडिया टुडे की SIT को फोन पर अपनी पहचान की पुष्टि की है. पढ़िए पूरी बातचीत…

मोहम्मद ने SIT से बात करते हुए यह पुष्टि की कि वह सेहरी की नोर मस्जिद से बोल रहा है. जब इंडिया टुडे के
रिपोर्टर ने यह नईम से जानना चाहा कि भारत की एयर स्ट्राइक में कितने लोग मारे गए तो उसने अपने स्थानीय फोन (नंबर 312-557XXXX) पर बताया कि मैंने देखा जो पढ़ा, पाकिस्तानी सेना के 4 या 5 लोग मारे गए.

जब नईम से पूछा गया कि वाकई में पाकिस्तानी सेना के जवान मारे गए तो उसने 4 से 5 जवान मारे जाने की पुष्टि कर दी. इससे यह साफ़ होता है कि जैश-ए-मोहम्मद के कैम्प को पाकिस्तानी सैनिक सुरक्षा दे रहे थे.

इस बात को पुख्ता करने के लिए SIT ने बालाकोट के पास ही एक अन्य मस्जिद के इमाम रहमान से संपर्क किया. रहमान ने भी भारतीय वायुसेना की बमबारी की पुष्टि की और इस घटना को ‘क़यामत का मंज़र’ बताते हुए एयर स्ट्राइक में भारी नुकसान होने की पुष्टि की.

रहमान ने फोन पर बताया कि एक इमारत को भारी नुकसान पहुंचा है. धमाके इतने जोरदार थे कि रात में हर कोई जाग गया. चार से पांच धमाके हुए. हर कोई डर गया था.

पाकिस्तान के उस झूठ का भी पर्दाफाश हुआ है जिसमें उसने F-16 को मार गिराने की बात कही है. PoK के एक पुलिस अधिकारी ने SIT से फोन पर यह दावा किया कि एलओसी के ऊपर हवा में विमानों के टकराव के दौरान पाकिस्तान के F-16 विमान का जहां मलबा गिरा था, उसे उस जगह की घेराबंदी और सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के भिंबर में मौजूद पुलिस स्टेशन को SIT के रिपोर्टर ने खुद को पाकिस्तानी सेना का खुफिया अधिकारी बताते हुए फोन किया.

फोन पर पुलिस अधिकारी ने खुलासा किया कि पाकिस्तानी सेना ने पूरे सुरक्षा विभाग को पाकिस्तान के गिरे लड़ाकू विमान के बारे में कोई भी जानकारी किसी को ना देने का आदेश दिया था. जब उससे पूछा गया तो उसने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश मानने की बात कही.

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