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हजारों गोले बरसाने के बाद भी इस मंदिर का कुछ नहीं बिगाड़ पाया था पाकिस्तान

राजस्थान के जैसलमेर से लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास तनोट माता मंदिर है. यह मंदिर अपने चमत्कारों के लिए दुनियाभर में जाना जाता है. इस मंदिर से पाकिस्तान की सेना भी कांपती है. माना जाता है कि इस मंदिर में दैवीय शक्ति है. आइए जानें इस मंदिर की खासियत के बारे में…

साल 1965 की भारत-पाकिस्तान की जंग में तनोट माता मंदिर का ऐसा चमत्कार दिखाई दिया कि पाकिस्तानी सेना वहीं ढेर हो गई. कहा जाता है कि पाक सेना एक-दूसरे को ही दुश्मन समझकर लड़ पड़ी थी. माता के मंदिर में घुसे पाक सैनिक आपसी विवाद में ढेर हो गए थे.

बता दें, साल 1965 में भारत-पाकिस्तान की जंग में पाकिस्तान सेना की तरफ से इस मंदिर में लगभग 3000 बम गिराए गए थे. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इस मंदिर को थोड़ा सा भी नुकसान नहीं पहुंचा था. वहीं 450 बम ऐसे थे जो मंदिर परिसर में गिरने के बाद भी फटे तक नहीं थे. तभी से ये मंदिर बम वाली माता के मंदिर के नाम से मशहूर हो गया.

बता दें, आज भी उन सभी बमों को भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर के एक संग्रहालय में रखा गया है.

4 दिसंबर साल 1971 में भारत और पाकिस्तान में एक बार फिर जंग छिड़ी थी. उस समय पाकिस्तान ने लोंगेवाला चेकपोस्ट पर हमला किया था. उस ब्रिगेड में कम से कम 2 हजार से ज्यादा पाकिस्तान जवान मौजूद थे. जबकि भारतीए सेना के सिर्फ 120 जवान ही थे.

भारतीए सेना के लिए साल 1971 उस जंग में फतह हासिल करना एक बड़ी चुनौती थी. लेकिन, मां की कृपा से भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को धूल चटा विजय प्राप्त की.

साल 1965 और 1971 की जंग में देवी के आशीर्वाद और चमत्कार से पाकिस्तानियों को धूल चटाने के बाद बीएसएफ के जवानों ने तनोट माता मंदिर का जिम्मा अपने हाथों में ले लिया था. तब से इस मंदिर में बीएसएफ का सिपाही ही पंडित होता है.

बत दें लोंगेवाला, तनोट माता मंदिर के पास ही है. 16 दिसंबर को लोंगेवाला में हुई जंग में भारत ने विजय प्राप्त की थी. इसके बाद से ही हर साल यहां 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है.

बॉलीवुड की फेमस और सुपरहिट फिल्म बॉर्डर साल 1971 में लोंगेवाला में हुई इसी ऐतिहासिक जंग पर आधारित है.

बीएसएफ के सिपाही माता तनोट की पूजा करना कभी नहीं भूलते हैं. मंदिर के मुख्य पुजारी भी बीएसएफ सिपाही ही हैं. माना जाता है कि यह मंदिर 1200 वर्ष पुराना है.

जवानों का मानना है कि तनोट माता मंदिर की कृपा की वजह से ही उन्होंने ऐतिहासिक विजय प्राप्त की. जवानों का यह भी मानना है कि तनोट माता मंदिर जैसलमेर की सरहद पर कभी कोई आंच नहीं आने देगा.

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