अन्तर्राष्ट्रीय

भारतीय गणितज्ञ को अमेरिका में ‘पोल्या’ पुरस्कार

nikhil indiaवाशिंगटन । भारतीय युवा गणितज्ञ निखिल श्रीवास्तव का नाम प्रतिष्ठित ‘जॉर्ज पोल्या’ पुरस्कार के लिए संयुक्त रूप से चुना गया है। यह पुरस्कार उन्हें गणित की उस पहेली का हल ढूंढने के लिए मिला है जो आधी से ज्यादा सदी से गणितज्ञों के लिए अबूझ बनी हुई थी। शिकागो में औद्योगिक और अनुप्रयुक्त गणित सोसायटी (एसआईएएम) की सात से 11 जुलाई तक चलने वाली बैठक में माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया के श्रीवास्तव और येल विश्वविद्यालय के एडम डब्ल्यू.माक्र्स तथा डेनियल ए.स्पीलमैन को संयुक्त तौर पर 2०14 के ‘जॉर्ज पोल्या’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हंगरी के गणितज्ञ के नाम पर पोल्या पुरस्कार हर दो साल पर एसआईएएम द्वारा दिया जाता है। पोल्या का फंडामेंटल एडवांसेज इन कॉबिंनेटोरिक्स न्यूमेरिकल एनालिसिस नंबर थ्योरी और प्रोबेबिलिटी थ्योरी में विशेष योगदान था। श्रीवास्तव ने माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च ब्लॉग पर मिले एक ई-मेल का हवाला देते हुए कहा ‘‘चयन समिति उन्हें और उनके सहयोगियों को काडिसन-सिंगर सवाल के समाधान के लिए सम्मान देना चाहती है।’’ईमेल के अनुसार ‘‘माक्र्स स्पीलमैन और श्रीवास्तव द्वारा इस महत्वपूर्ण सवाल के समाधान से गणित के कई क्षेत्रों में सहायता मिलेगी और सवाल हल करने के उनके सहज तरीके का इस्तेमाल गणित के कई और सवालों का हल करने के लिए किया जाएगा।’’ तीनों ने लगभग एक साल पहले रिचर्ड काडिसन और इसाडोर सिंगर द्वारा क्वांटम यांत्रिकी के गणितीय सिद्धांत से संबंधित 1959 में पहली बार पेश किए गए काडिसन-सिंगर संकल्पना के प्रमाण की घोषणा की थी।

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