उत्तराखंड

रैन बसेरों पर लटके ताले, भीषण ठंड में रात बिताने को मजबूर बेसहारा

ranbasera_1484296362उत्तराखंड की राजधानी। हाड़ कंपाने वाली ठंड और रात को तापमान दो डिग्री। बाहर सड़क पर शीतलहर से मरघट सा सन्नाटा। लेकिन इस ठंड में कुछ ऐसे बेसहारा भी हैं, जिनके लिए हर रात नगर निगम की लापरवाही से दर्द बनकर आती है। रैन बसेरे में रात काटने जाते हैं तो ताले लटके मिलते हैं।
 
बड़े-बड़े दावे करने वाले निगम प्रशासन की पोल तब खुली, जब अमर उजाला टीम ने रात 10:30 बजे से 11:15 बजे तक रैन बसेरों की पड़ताल की। इस दौरान लोग ठंड से ठिठुरते मिले।

उधर, महापौर को जब मौके से कई बार फोन किया गया तो वह शायद नींद में थे और फोन नहीं उठाया। लेकिन उनका क्या, जो रातभर निगम को कोसते हुए सड़क पर जिंदगी काट रहे हैं। पेश है अमर उजाला के रिपोर्टर सुनीत द्विवेदी और फोटो
जर्नलिस्ट संजय नेगी की पड़ताल…

ये देहरादून के रैन बसेरों का हाल…

रात 10.30 बजे

स्थान- लालपुल स्थित रैन बसेरा
एक करोड़ आठ लाख रुपये से बन इस रैन बसेरे में 139 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। यहां ताला लटका हुआ है। गार्ड भी नहीं दिखाई दे रहा है। पास में सड़क किनारे लेटे राजकुमार ने बताया कि साहब, बीते सात दिन से यह बंद पड़ा है। सड़क किनारे रात गुजारने को मजबूर हूं। हर दिन इसी आस में यहां आता हूं कि आज सिर ढकने को जगह मिल जाएगी।

रात 11 बजे
स्थान- चुक्खू मोहल्ला स्थित रैन बसेरा
करीब 36 लाख की लागत से बना रैन बसेरा खुला था। यहां मौजूद गार्ड अंदर लेकर जाता है। रास्ते में पानी पड़ा हुआ है। कमरे के अंदर घुसने से पहले ही इतनी बदबू थी कि रुमाल से नाक ढकनी पड़ी। यहां के हालात को देखकर लगता है कि लंबे समय से साफ-सफाई नहीं हुई है। बदबूदार रैन बसेरे में 35 लोग रात गुजार रहे थे। उनका कहना है कि बदबू तो उन्हें भी आती है, लेकिन अगर बाहर सोए तो पता नहीं सुबह उठ पाएंगे या नहीं।

समय- रात 11.45 बजे 
स्थान- चूनाभट्टा, रायपुर रोड स्थित रैन बसेरा
करीब 70 लाख से बने इस रैन बसेरे के हालात लालपुल जैसे ही दिखे। गेट में ताला लटका हुआ था। सन्नाटे के बीच यहां पास में बैठे गोविंद ने बताया कि इस पर हमेशा ताला लटका रहता है। जिसके कारण रोजाना तमाम बेसहारा यहां से मायूस होकर लौट जाते हैं।

 
 

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