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जब अपने ही नौकर को दिल दे बैठी थीं ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया…

ब्रिटेन की क्वीन विक्टोरिया का जन्म आज के दिन 24 मई 1819 में हुआ. वह ब्रिटेन की रानी थीं. रानी विक्टोरिया ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक रानी बनी रहीं, लेकिन अब एलिजाबेथ द्वितीय ने इससे भी लंबे समय तक रानी बने रहने का रिकॉर्ड बनाया है. आइए जानते हैं रानी विक्टोरिया के बारे में..

रानी राज परिवार से ताल्लुक रखती थीं. ऐसे में उनकी परवरिश काफी सख्ती से हुई. विक्टोरिया के जन्म के 8 महीने बाद ही पिता का निधन हो गया था. जिसके बाद उनके मामा ने ही उनकी पढ़ाई-लिखाई करवाई. माना जाता है कि विक्टोरिया को किसी भी पुरुष से एकांत यानी अकेले में मिलने नहीं दिया जाता था. यहां तक कि बड़ी उम्र के नौकर-चाकर भी उनके पास नहीं आ सकते थे. जितनी देर वे शिक्षकों से पढ़तीं, उनकी मां या दाईमां उनके पास बैठी रहतीं.

लेकिन इतनी सख्ती के बावजूद 19वीं शताब्दी के अंत एक ऐसी हकीकत दुनिया के सामने आई जिसे इंग्लैंड का राजपरिवार क्या एक सामान्य ब्रिटिश नागरिक हजम करने को तैयार नहीं था.

जानें क्या थी बात

चारों तरफ चर्चा फैल गई थी कि रानी का प्यार हो गया है. लोगों ने सोचा वह ब्रिटेन की रानी हैं, तो किसी राजकुमार से ही प्यार हुआ होगा. लेकिन जब बात लोगों के सामने आई तो सभी के होश उड़ गए. ब्रिटेन की पहली रानी विक्टोरिया को प्यार किसी राजा से नहीं बल्कि एक मामूली नौकर से हुआ. जो भारतीय था. वो दुबले कद-काठी वाले अब्दुल करीम थे जिसने रानी विक्टोरिया को अपना दीवाना बना दिया था.

जानें कैसे शुरू हुई प्रेम कहानी

अब्दुल करीम 24 साल के थे जब वे 1887 में आगरा से इंग्लैंड गए थे. उन्हें भारत की ओर से एक तोहफे के रूप में क्वीन विक्टोरिया के पास भेजा गया था. वह एक साल के भीतर ही इस नौजवान को महारानी के दरबार में शिक्षक का दर्जा दे दिया गया था और उन्हें निर्देश दिया गया कि वो महारानी को हिंदी और उर्दू सिखाएं.

अब्दुल और विक्टोरिया के प्यार के संबंधों खुलासा तब हुआ, जब अब्दुल की डायरी सामने आई. जिससे पता चला कि भारत से महारानी का सेवक बनाकर ब्रिटेन गए अब्दुल करीम को किस तरह महारानी दिल दे बैठीं हैं. विक्टोरिया और अब्दुल की कहानी बिल्कुल वैसी थी जैसे फिल्मों में होता है. एक अमीर घराने की लड़की और गरीब लड़के के बीच प्यार होना.

प्रभावित थीं महारानी

बता, दें लंबे कद और खूबसूरत व्यक्तित्व के अब्दुल करीम का व्यवहार ऐसा था कि रानी न केवल उनसे प्रभावित होती गईं बल्कि उनके करीब आती गईं. बाद में अब्दुल करीम के नाम के आगे मुंशी जुड़ गया. वह महारानी के भारत सचिव बन गए. जब रानी को अब्दुल से प्रेम हुआ उनकी उम्र 60 वर्ष थी.

महारानी अक्सर अपने दिल की बातें उन्हें खत में लिखती थीं. कभी-कभी तो महारानी अपने पत्रों में चुंबन के प्रतीक भी बनाती थी, जो उस समय में बेहद असाधारण बात थी. दोनों के बीच का रिश्ता काफ़ी भावुक था जिसका विभिन्न स्तर पर वर्णन किया जा सकता है.

महारानी की मौत के बाद सन 1901 में किंग एडवर्ड अब्दुल करीम को वापस भारत भेज दिया. यही नहीं करीम और महारानी के बीच हुए पत्राचार को तुरंत जब्त करके नष्ट करने का आदेश भी दिया. करीम महारानी के साथ करीब 15 साल रहे. स्वदेश लौटने के बाद वह आगरा में अकेले ही रहते थे. आगरा में उन्होंने जहां अपने आखिरी साल बिताए. 1909 में जब अब्दुल का देहांत हुआ तब वह 46 साल के थे.

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