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मुश्किल में चीन, पाकिस्तान में ‘सीपीईसी’ के खिलाफ उठ रही हैं विरोध की आवाजें


बीजिंग : चीन-पाक आर्थिक गलियारे के लेकर पाकिस्तान के लोगों में काफी असंतोष है। उसकी वजह है अपर्याप्त रोजगार के साथ ही 2700 किलोमीटर लंबे आर्थिक गलियारे से लगते आवासीय इलाकों में भारी तादाद में सैन्य तैनाती। यह खबर इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप ने दी है। ग्वादर बंदरगाह सीपीईसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके जरिए चीन यह उम्मीद करता है कि उसकी पहुंच अरब सागर तक हो जाएगी और वे अपने सामानों को निर्यात करने के लिए इसे वैकल्पिक समुद्री रास्ते के तौर पर इस्तेमाल कर सकेगा। लेकिन, सीपीईसी के बीच में अशांत बलूचिस्तान के आने वहां पर पर भारी विद्रोह को देखते हुए काफी तादाद में सैनिकों की तैनाती की गई है। ऐसे समय में जब 25 जुलाई को पाकिस्तान में आम चुनाव होना है और करीब हफ्ते भर ही इसमें बचे हैं, ऐसे में आईसीजी की रिपोर्ट के बाद वहां के राजनेताओं का ध्यान इस ओर जा सकता है।

ब्रुसेल्स के गैर लाभकारी संगठन ने कहा कि 62 बिलियन डॉलर लागत से बन रहे आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के चलते राजनीतिक तनाव और कटुता बढ़ेगी जब तक कि पाकिस्तान और चीन इस पर फौरन कदम उठाकर आम लोगों की समस्याओं को नहीं सुलझा लेते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सुधार की जरूरत है ताकि यहां के लोगों के जीवनस्तर को बेहतर किया जा सके और कई अधिकारियों का यह करना है कि सीपीईसी इस दिशा में मदद करेगा। लेकिन, वर्तमान परिस्थिति में यह कॉरिडोर राजनीतिक तनाव बढ़ाने, सामाजिक बंटवारा और पाकिस्तान में संघर्ष का यह एक बड़ा कारण बन सकता है।

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