पीड़िता को अगवा कर नौ दिन तक तीन लोगों किया था दुष्कर्म, 15 अक्तूबर को होगी आगे की सुनवाई
उत्तर प्रदेश के चर्चित उन्नाव दुष्कर्म कांड की पीड़िता को 2017 में अगवा करने के बाद तीन लोगों ने नौ दिनों तक उसके साथ अलग-अलग स्थानों पर सामूहिक दुष्कर्म किया था। पीड़िता उस समय नाबालिग थी। यह आरोप सीबीआई ने शुक्रवार को तीसहजारी अदालत में सामूहिक दुष्कर्म मामले में तीन आरोपियों के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र में लगाया। यह मामला 2017 में पीड़िता पर यौन हमला करने के आरोप में भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ चल रहे मामले से अलग है। इस मामले से जुड़े एक वकील के मुताबिक, जिला व सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने बंद कमरे में कैमरे के सामने सुनवाई में सीबीआई के आरोप पत्र पर संज्ञान लिया। उन्होंने आगे की सुनवाई के लिए 15 अक्तूबर की तारीख तय की है।
सीबीआई ने इस मामले में नरेश तिवारी, बृजेश यादव, शुभम सिंह को आईपीसी की धारा 363 (अपहरण), 366 (शादी के लिए मजबूर करने के लिए महिला का अपहरण), 376डी (सामूहिक दुष्कर्म), धारा 120 (आपराधिक साजिश) तथा पोक्सो एक्ट की धारा 3 व 4 के तहत आरोपी बनाया है।
इन सब धाराओं के तहत दोषी साबित होने पर आरोपियों को अधिकतम उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। शुभम सिंह पीड़िता से ही जुड़े दूसरे मामले में सेंगर के साथ सह-आरोपी बनाई गई शशि सिंह का बेटा है।
सीबीआई ने उन्नाव के मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए पीड़िता के बयान के हवाले से आरोप पत्र में कहा है कि पीड़िता 11 जून, 2017 की रात अपने घर से पानी लेने बाहर निकली थी। उस समय शुभम सिंह व नरेश तिवारी ने तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर उसे जबरन कार में खींच लिया था। कुछ दूर जाने के बाद शुभम व नरेश ने कार में ही पीड़िता से दुष्कर्म किया था।
इसके बाद आरोपी पीड़िता को कानपुर मार्ग पर एक घर में ले गए थे। वहां भी दो नकाबधारी लोगों ने पीड़िता से दुष्कर्म किया। इसके दो-तीन बाद यह लोग पीड़िता को बृजेश यादव के घर ले गए। वहां भी बृजेश ने पीड़िता से दुष्कर्म किया। दो दिन बाद यहां से भी पीड़िता को औरैया ले जाकर रखा गया। बाद में पुलिस ने यहीं से पीड़िता को बरामद किया था।
पीड़िता की बातों से भिन्न तथ्य भी आए सामने
सीबीआई चार्जशीट में पीड़िता के बयान और कुछ तथ्यों में भिन्नता भी सामने आई है। चार्जशीट में सीबीआई ने लिखा है कि जांच के दौरान पीड़िता को 11 के बजाय 12 जून को अगवा किए जाने की बात सामने आई, क्योंकि शुभम सिंह व नरेश तिवारी 11 जून को अपहरण स्थल पर नहीं थे।
हालांकि पीड़िता ने नरेश द्वारा दिए गए मोबाइल के इस्तेमाल की बात से इंकार किया, लेकिन जांच में उसके द्वारा मोबाइल के इस्तेमाल की पुष्टि हुई है।
सीबीआई का कहना है कि इस मामले में अन्य लोगों के बारे में पूछने पर पीड़िता ने बताया कि अन्य तीन लोगों का नाम उसने वकील मनोज सेंगर के दबाव में लिए थे। इस मामले में अन्य आरोपियों की भूमिका के संबंध में पूछताछ की जा रही है। सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में लगाए आरोपों की पुष्टि के लिए 103 गवाहों की सूची कोर्ट में पेश की है।