UP: नम आंखों के बाद भी मीटिंग करते रहे CM योगी आदित्यनाथ
लखनऊ: कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच में पिता के निधन की सूचना के बीच में भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोर टीम के साथ बैठक करते रहे। बैठक में उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि कोटा से उत्तर प्रदेश लौटे सभी बच्चों का का होम क्वारंटाइन कराना सुनिश्चित कराएं। इसके साथ ही सभी बच्चों के मोबाइल में आरोग्य सेतु डाउनलोड कराने के बाद उनको घर भेजा जाए।
एक योगी के तप की परीक्षा लेने आई अनहोनी सोमवार को यहां 5-कालिदास मार्ग से विरक्ति और प्रेम के गूढ़ अर्थ समझकर लौटी होगी। क्या यह अकल्पनीय नहीं कि कोई मुख्यमंत्री सिर्फ इसलिए अपने पिता के निधन पर उनके अंतिम दर्शनों को नहीं जाता है, क्योंकि उसके पैरों में राज-धर्म की बेडिय़ां हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भगवा वस्त्र निजी रिश्तों से विरक्ति का आत्मबल देते हैं लेकिन, बतौर ‘पालक’ वह इतना बड़ा दिल दिखाते हैं कि 23 करोड़ प्रदेशवासियों को कुछ घंटों के लिए भी कोरोना की आपदा में छोड़कर नहीं जाते।
कोरोना काल में सोमवार की सुबह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए शोक संदेश लेकर आई। लंबे समय से बीमार चल रहे उनके 90 वर्षीय पिता आनंद सिंह बिष्ट का नई दिल्ली स्थित एम्स में निधन हो गया। पिता के खराब स्वास्थ्य से तो वह पहले से वाकिफ थे लेकिन, वह कोरोना महामारी के खिलाफ चल रहे संघर्ष का लगातार नेतृत्व कर रहे योगी पिता का हालचाल लेने तक नहीं जा सके। सोमवार सुबह भी उन्होंने हर दिन की तरह सुबह 10.30 बजे बैठक के लिए उन अधिकारियों को आवास पर बुला रखा था, जिन्हें संक्रमण की रोकथाम और लॉकडाउन की व्यवस्थाओं का जिम्मा सौंपा है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बैठक के दौरान मुख्यमंत्री के सहयोगी बल्लू राय आए और उन्हें एक पर्ची थमा दी। मास्क भला भाव भी कहां तक छिपाता। उन्होंने फोन मिलवाकर एक मिनट किसी से बात की। नम आंखें और योगी की कुछ पल की खामोशी ने सभी को संदेश दे दिया कि उनके पिता नहीं रहे।
मगर, यह कल्पना भी किसी ने न की होगी। मुख्यमंत्री ने तुरंत खुद को संभाला और अधिकारियों से कोरोना संक्रमण के केस, जिलावार हाल, लॉकडाउन में जनता को मिलने वाली मदद आदि के बारे में प्रतिदिन की तरह सवाल-जवाब शुरू कर दिए। जिस अधिकारी से पूछा जा रहा था, वह जवाब दे रहा था और बाकी सब अवाक!
सभी को पता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री होने से पहले वो एक संन्यासी हैं, गोरक्षपीठाधीश्वर हैं। लेकिन पिता के निधन का समाचार मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री की कार्यशैली ठीक वैसे ही चलती रही। एक तरफ जहां आंखों में नमी उनके दुख की सबूत था तो दूसरी तरफ 23 करोड़ जनता की सुरक्षा की चिंता का फर्ज। अपने पिता के निधन के बावजूद उन्होंने राजधर्म को प्राथमिकता दी। उसे निभाया। योगी आदित्यनाथ पहले भी सबसे ऊपर राजधर्म और यूपी की 23 करोड़ जनता का हित देखने को सर्वोपरि मानते रहे हैं। पिता की मृत्यु भी उन्हें अपने इस पथ से विचलित नहीं कर सकी।