ममता बनर्जी सरकार में अब मंत्री बने पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी
स्पोर्ट्स डेस्क : पूर्व इंटरनेशनल क्रिकेटर मनोज तिवारी ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार में मंत्री पद की शपथ ली है. इससे पहले उत्तर प्रदेश के लक्ष्मी रतन शुक्ला खेल एवं युवा कल्याण मंत्री थे.
लक्ष्मी रतन शुक्ला उन्नाव के शुक्लागंज के निवासी हैं तो नवनिर्वाचित विधायक और मंत्री मनोज तिवारी का पैतृक निवास प्रतापगढ़ में है. यूपी निवासी ये दोनों पूर्व इंटरनेशनल क्रिकेटर हैं और उत्तर प्रदेश के खिलाफ 2005 में रणजी ट्राफी के फाइनल में लखनऊ में खेले थे.
मुखिया ममता बनर्जी के इससे पहले के मंत्रिमंडल में जहां उन्नाव के निवासी लक्ष्मी रतन शुक्ला मंत्री बने थे तो इस बार ये मौका प्रतापगढ़ के निवासी मनोज तिवारी को मिला है. रणजी ट्राफी के करीब 87 साल के इतिहास में उत्तर प्रदेश ने केवल एक बार 2005 में जीत दर्ज की है.
लखनऊ में हुए फाइनल में उत्तर प्रदेश ने पश्चिम बंगाल को मात दी थी जिसमे मनोज तिवारी और लक्ष्मी रतन शुक्ला विपक्षी टीम में थे. इस मैच में बंगाल के कप्तान दीपदास गुप्ता थे तो उत्तर प्रदेश की कमान मोहम्मद कैफ ने संभाली थी.
पश्चिम बंगाल से क्रिकेट खेलने के बाद देश का प्रतिनिधित्व करने वाले उत्तर प्रदेश के निवासी लक्ष्मी रतन शुक्ला के बाद मनोज तिवारी का सितारा चमका है. मनोज तिवारी पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के ऐलान के कुछ टाइम पहले ही तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे.
पार्टी ने उनको टिकट दिया और उन्होंने शिबपुर सीट पर हावड़ा के पूर्व मेयर और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रथिन चक्रवर्ती को मात दी. राज्यपाल जगदीप धनखड़ मनोज तिवारी को राजभवन में मंत्री पद की शपथ दिलाई.
मनोज तिवारी उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के मंगरौरा ब्लॉक के सकरा गांव के निवासी हैं. मनोज तिवारी का बचपन हावड़ा की गलियों में बिता है. उनके दादा व्यापार करने कोलकाता गए थे, जहां पर मनोज तिवारी के पिता ने भी उनका साथ दिया. मनोज तिवारी ने एमएस धोनी की अगुवाई में इंटरनेशनल क्रिकेट भी खेला था.
वो पहला चुनाव लड़े और ममता बनर्जी ने युवा नेता को मंत्री बनाया है. मंगरौरा ब्लॉक के सकरा निवासी मनोज तिवारी अपनी वाइफ, बच्चे, पिता श्यामशंकर तिवारी, मां बीना तिवारी, छोटे भाई राजकुमार व महेश के साथ कोलकाता में ही रहते हैं. मनोज तिवारी ने पहला ही चुनाव 32339 वोटों से जीता है.
वर्ष 2006-07 में मनोज तिवारी ने रणजी ट्राफी में 99.50 की औसत से बेहतरीन 796 रन बनाए और सभी को अपनी बल्लेबाजी से प्रभावित कर दिया था. जिसके चलते बांग्लादेश के दौरे के लिए उनको भारतीय टीम में शामिल किया गया था. वो आईपीएल के दो सीजन में दिल्ली डेयरडेविल्स की तरफ से खेले.
2011 में उनको कोलकाता नाइट राइडर्स ने बुलाया. पांच साल केकेआर के लिए खेलने के बाद 2017 में राइजिंग पुणे सुपरजायंट ने उनको अपनी टीम में शामिल किया था.
वही उन्नाव के मूल निवासी लक्ष्मी रतन शुक्ला ने पिछले विधानसभा चुनाव (2016) से पहले तृणमूल कांग्रेस में शामिल होकर अपने राजनीतिक करियर का आगाज किया था.
ममता बनर्जी ने उनको टिकट दिया और हावड़ा उत्तर से विधायक चुने गये. इसके बाद ममता सरकार में उन्हें खेल और युवा मामलों का मंत्री बनाया गया था.
उन्नाव में शुक्लागंज निवासी निवासी लक्ष्मी रतन शुक्ला के पड़दादा कोलकाता में कारोबार के लिए गए फिर वही जाकर बस गये. इससे पहले भारतीय टीम से खेल चुके ऑलराउंडर लक्ष्मी रतन शुक्ला ने बीती पांच जनवरी को ममता बनर्जी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था और अटकले लगायी जा रही थी कि वो भी भाजपा में शामिल होंगे लेकिन वो आईपीएल की कमेंट्री टीम का हिस्सा बने.
उन्होंने बोला कि आईपीएल 2021 कमेंट्री से हुई कमाई पश्चिम बंगाल सीएम राहत कोष में डोनेट किया. शुक्ला ने देश के लिए तीन वनडे और 137 प्रथम श्रेणी मैच खेले है. वो आईपीएल में भी कोलकाता नाइट राइडर्स, दिल्ली डेयरडेविल्स के बाद सनराइजर्स हैदराबाद का हिस्सा रहे हैं.
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