दिल्ली के चांदनी चौक वार्ड के तीन दलों के प्रत्याशियों की विरासत की राजनीति लगी दांव पर
नई दिल्ली । दिल्ली के चांदनी चौक वार्ड 74 में वोटरों की संख्या लगभग 44153 है. और आबादी लगभग 51672 है। वोट बैंक की अगर बात की जाए तो चांदनी चौक वार्ड वैश्य और ब्राह्मण बहुल वार्ड है। यह क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी का गढ़ भी माना जाता है, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी के लिए चांदनी चौक की राह इतनी आसान नहीं होगी क्योंकि तीनों प्रमुख पार्टियों ने यहां से ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है जिन्हें राजनीति जन्म से ही विरासत में मिली है और इस सीट में मुकाबला वाकई विरासत पर सियासी हक को लेकर होगा। यहां तीनों पार्टी के प्रत्याशियों पर विरासत की राजनीति को जिंदा रखने की जिम्मेदारी भी है।
चांदनी चौक वार्ड में वैश्य कम्युनिटी के बाद दूसरी बड़ी आबादी ब्राह्मण वोट बैंक की है, और पंजाबी और मुस्लिम वोटर्स की अगर बात की जाए तो दोनों का वोट बैंक बराबर ही होगा, थोड़े बहुत ओबीसी और अनुसूचित जाति के लोग भी वार्ड में रहते हैं. पुराना इतिहास उठाकर देखा जाए तो इस सीट से अधिकतर बीजेपी का ही पार्षद रहा है, लेकिन इस बार तीनों ऐसे प्रत्याशी चुनावी मैदान में आए हैं, जो कहीं किसी राजनीतिक परिवार या राजनीतिक घरानों से ताल्लुक रखते हैं। उन्हें राजनीति विरासत में मिली है। इस बार चांदनी चौक वार्ड पर निगम चुनाव का मुकाबला कड़ा होने वाला है। आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने यहां से पूर्व विधायक वासुदेव कप्तान के बेटे रविंद्र कुमार को मैदान में उतारा है और आम आदमी पार्टी की अगर बात करें तो आम आदमी पार्टी ने यहां से 5 बार विधायक रहे प्रहलाद साहनी के बेटे पूरन दीप सिंह साहनी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने भी अपने पूर्व मेयर बृजमोहन शर्मा के बेटे राहुल शर्मा को चुनावी मैदान में चांदनी चौक वार्ड से उतारा है। इसलिए चांदनी चौक वार्ड पर वार्ड वार बहुत रोचक और कड़ा मुकाबला यहां देखने को मिलेगा वैसे चांदनी चौक वार्ड बीजेपी का गढ़ रहा है लेकिन परिसीमन की वजह से कुछ सियासी समीकरण गड़बड़ा गए चांदनी चौक वार्ड में रेलवे लाइन के आसपास की कुछ गलिया और उसके अलावा जामा मस्जिद का भी कुछ हिस्सा शामिल कर दिया गया है।
सियासी समीकरण पर यह फर्क पड़ा है कि जीत हार में जो एक तरफा फैसला वैश्य कम्युनिटी के हाथ में ही होता था। इस बार ऐसा नहीं है इस बार चांदनी चौक वार्ड में ब्राह्मणों और मुस्लिम वोटरों की भूमिका भी अहम हो सकती है, अब यह तो आने वाली 7 दिसंबर को ही पता चलेगा कि चांदनी चौक की वार्ड वार में कौन विजयी होगा।