नई दिल्ली : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (18 सिंतबर) को मना कर दिया. हेमंत मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED के समन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. सुप्रीम कोर्ट ने उनसे पहले झारखंड हाई कोर्ट जाने को कहा. हेमंत सोरेन को ED ने ज़मीन घोटाले में पूछताछ के लिए अपने रांची दफ्तर में बुलाया था, लेकिन वह अभी तक वहां नहीं गए हैं.
सोरेन की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत में दावा किया कि यह पूरी तरह से पीछे पड़ जाने का मामला है. इस पर जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा, ‘‘रोहतगी जी, आप हाई कोर्ट क्यों नहीं जाते? नहीं नहीं, आप हाई कोर्ट जाइए. हम आपको याचिका वापस लेने की अनुमति देंगे.’’ याचिका को वापस लिया मानकर खारिज कर दिया गया.
ईडी की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि यह मामला बड़ी संख्या में दिए गए निर्णयों के अंतर्गत आता है. सोरेन ने 14 अगस्त को रांची में संघीय एजेंसी के कार्यालय में पेश होने और धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए भेजे गए समन को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है.
इससे पहले, सोरेन ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों का हवाला देते हुए कथित रक्षा भूमि घोटाला मामले में ईडी के समन पर तामील नहीं की थी. ईडी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता सोरेन (48) से राज्य में कथित अवैध खनन से जुड़े धन शोधन मामले में पिछले साल 17 नवंबर को नौ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी.
केंद्रीय एजेंसी एक दर्जन से अधिक भूमि सौदों की जांच कर रही है, जिसमें रक्षा भूमि से संबंधित एक सौदा भी शामिल है, जिसमें माफिया, बिचौलियों और नौकरशाहों के एक समूह ने 1932 की तिथि तक के फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए कथित तौर पर मिलीभगत की थी.
ईडी ने झारखंड में अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें सोरेन के राजनीतिक सहयोगी पंकज मिश्रा भी शामिल हैं. सोरेन को ईडी ने शुरुआत में तीन नवंबर 2022 को तलब किया था, लेकिन वह सरकारी व्यस्तताओं का हवाला देते हुए उसके सामने पेश नहीं हुए थे. झामुमो नेता ने केंद्रीय जांच एजेंसी को उन्हें गिरफ्तार करने की चुनौती भी दी थी और समन को तीन हफ्ते के लिए टालने का अनुरोध किया था.