राष्ट्रीय

इजरायल-हमास जंग में PM मोदी की मुस्लिम भी कर रहे तारीफ

नईदिल्ली : 7 अक्टूबर को जब इजरायल पर हमास का आतंकी हमला हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि संकट की घड़ी में भारत इजरायल के साथ खड़ा है। तब भारत से लेकर बाहरी दुनिया तक इस पर हाय तौबा मची कि मोदी के शासनकाल में भारत की विदेश नीति बदल गई है और फिलिस्तीन को समर्थन देने की गांधी-नेहरू और अटल-आडवाणी की परंपरा को बदल दिया गया है।

हालांकि, जब पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र में भारत ने इजराइल-हमास में जारी संघर्ष में बड़े पैमाने पर आम नागरिकों की मौत और सुरक्षा की खराब होती स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए सभी पक्षों से शांति के लिए आवश्यक परिस्थितियां बनाने और तनाव कम कर सीधी बातचीत फिर से शुरू करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया और दो राष्ट्र के सिद्धांत की वकालत की तो सभी को यह अहसास हो गया कि यह भारत की कूटनीति है, जो युद्धनीति पर भारी है।

दरअसल, भारत हमेशा से आतंकवाद के सभी रूपों का विरोध करता रहा है। भारत शांतिपूर्ण बातचीत और मानवता का पक्षधर रहा है। वह अभी भी यही चाहता है कि इजरायल और फिलिस्तीन शांति उपायों के लिए आपस में बातचीत करें और गाजा पट्टी में निर्दोष फिलिस्तीनियों का खून न बहे। भारत टू नेशन थ्योरी की वकालत में दोनों देशों की संप्रभुता का भी पक्षधर है। इसीलिए भारत ने अपनी विदेश नीति में कौटिल्य की साम, दाम, दंड, भेद की नीति को समाहित कर रखा है।

भारत ने इसी कौटिल्य नीति के तहत दोनों पक्षों को समझाने (साम), गाजा पट्टी में पीड़ित मानवता के लिए राहत सामग्री भेजने (दाम), हमास के आतंकी मंसूबों पर पानी फेरने और उसके हमलों के खिलाफ इजरायली सेना की कार्रवाई का समर्थन करने (दंड) और धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के बीच शांति का पैगाम देकर फूट पैदा करने (भेद) की नीति पर अपना कदम बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा से इस नीति पर अपना स्टैंड साफ रखा है। वह मानवीय संकट के दौर में अफगानिस्तान से लेकर तुर्की और हाल में गाजा पट्टी तक सहायता पहुंचाने में पीछे नहीं रहे हैं। कोविड काल में भी मोदी ने कई पिछड़े मुस्लिम मुल्कों को इसी सिद्धांत के तहत मदद पहुंचाई थी। पूरी दुनिया पीएम मोदी की इस नीति की कायल है और यही वजह है कि यूक्रेन युद्ध से लेकर इजरायल-हमास युद्ध तक दुनियाभर के कई देश और वैश्विक नेता भारत की ओर इस टकटकी से देख रहे हैं कि वह युद्ध की आग को शांत करा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी उपप्रतिनिधि आर रवींद्र ने मंगलवार को पश्चिम एशिया की स्थिति पर सुरक्षा परिषद की बैठक में जो बातें कहीं, वह तीन प्रमुख बातों का इशारा करती हैं- पहला इजरायल पर हुआ अटैक आतंकी हमला था। दूसरा, गाजा में हो रही मौत मानवता के लिए बड़ा संकट है। उस पर भारत दुख जताते हुए वहां मदद भेजता रहेगा और तीसरा, भारत दो राष्ट्र के सिद्धान्त को मानता है और मानता रहेगा और इसके साथ ही दोनों पक्षों से शांति स्थापना की दिशा में आपसी बातचीत करने की अपील करता है।

बता दें कि भारत ने अब तक गाजा पट्टी में फिलिस्तीन के आम लोगों के लिए मानवीय मदद के रूप में 20 ट्रकों में 38 राहत सामग्री भेजी है, जिसमें, 32 टन भोजन और अन्य सामान, जिसमें कंबल, टेंट और तिरपाल, स्लीपिंग बैग्स, पानी साफ करने की दवाइयां और रोजमर्रे के जरूरी सामान हैं और 6 टन दवाइयां और मेडिकल सहायता भेजे हैं। भारतीय वायुसेना का सी-17 विमान राहत सामग्र लेकर मिस्र पहुंचा, जहां से फिर ट्रकों से इसे गाजा पट्टी पहुंचाया गया है। भारत ने कहा है कि वह आगे भी इस तरह की मानवीय सहायता करता रहेगा।

एक तरफ इजरायल को आतंक के खिलाफ लड़ाई में समर्थन और दूसरी तरफ मानवीय संकट की दशा में फिलिस्तीन को राहत सामग्री भेजने और उसकी संप्रभुता की हिमायत करने की मोदी सरकार की कूटनीति ने अब देश के अंदर वैसे मुस्लिमों को भी खुश कर दिया है जो इजरायल का समर्थन करने से नाराज दिख रहे थे। इंडिया टीवी से बात करते हुए रज़ा एकैडमी के मौलाना मोहम्मद खलील उल रहमान ने पीएम मोदी की कोशिशों की तारीफ की है और कहा है कि फिलिस्तीन की मदद करना ही राजधर्म है। उन्होंने कहा कि मजलूमों की मदद कर प्रधानमंत्री ने नेक कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि जिस हिसाब से वहां बर्बादी हुई है, उस हिसाब से 38 टन राहत सामग्री कम है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री आगे भी ऐसी मदद भेजते रहेंगे।

बता दें कि पिछले महीने नई दिल्ली में जी-20 सम्मेलन के समापन पर दिल्ली घोषणा पत्र में भी आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की गई थी। इसमें अमेरिका से लेकर ब्रिटेन, फ्रांस समेत कई देशों ने एकसुर में भारत के साथ सुर मिलाया था। सऊदी अरब ने भारत के कदम की सराहना की थी औरयही वजह है कि उसने अब तक हमास के आतंकी हमलों को अपना समर्थन नहीं दिया है। बता दें कि 20 दिनों से जारी इस जंग में गाजा में अब तक 7200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। 7 अक्टूबर के हमले में इजरायल में भी 1400 लोगों की जानें गई थीं।

Related Articles

Back to top button