मध्य प्रदेश में बढ़ने वाले हैं इलेक्ट्रिसिटी के दाम! जल्द हो सकता है बदलाव
भोपाल: मध्य प्रदेश में सोलर बिजली पर एक्स्ट्रा चार्ज लगाने की तैयारी है. मध्य प्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा सोलर प्लांट में नए शुल्क निर्धारण के लिए पावर मैनेजमेंट कंपनी के प्रस्ताव पर आपत्तिकर्ता एडवोकेट राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि सोलर प्लांट से पैदा होने वाली बिजली पर विभिन्न शुल्क लगाए जा रहे हैं. राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि इससे प्रति यूनिट सोलर ऊर्जा 8.90 रुपये की हो जाएगी, जबकि वितरण कंपनी का मौजूदा टैरिफ प्रति यूनिट 6.95 रुपये है.
राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि अपनी सोलर बिजली पैदा करने के बाद भी उपभोक्ता को लगभग दो रुपये प्रति यूनिट ज्यादा देने पड़ सकते हैं. इस पर एमपी विद्युत नियामक आयोग के सदस्यों ने ऑनलाइन आपत्ति सुनी. इस दौरान कुल तीन आपत्तिकर्ता रहे. जबलपुर से एडवोकेट राजेंद्र अग्रवाल ने आपत्ति लगाई थी. उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा दिया जा रहा है, इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में प्रावधान है कि रिन्यूएवल एनर्जी को प्रोत्साहित किया जाए. ऐसे में सोलर प्लांट लगाने वालों को शुल्क लगाकर उन्हें हतोत्साहित किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनी ने सोलर बिजली के लिए तर्क दिया है कि सोलर प्लांट धनी लोग लगवा रहे हैं, जिस वजह से गरीबों पर बिजली लागत का भार आ रहा है. धनी लोग सोलर बिजली का उपयोग कर लेते हैं और रात में ग्रिड से बिजली वापस लेते हैं, जबकि उन्हें सोलर बिजली यदि रात में उपयोग करनी हो तो उन्हें बैटरी लगानी होगी, जिसकी लागत अधिक होती है. ऐसे में वितरण कंपनी चाहती है कि रात में जो उपभोक्ता बिजली सोलर प्लांट का उपयोग करते हैं, उनसे आठ फीसदी बैकिंग चार्ज लिया जाए. यानी 100 यूनिट सोलर बिजली ग्रिड में देने पर रात के वक्त उपभोक्ता को 92 यूनिट बिजली ही वापस की जाए.
टैरिफ प्रस्ताव में इसके अलावा कॉलोनी और बहुमंजिला इमारत में संयुक्त साझेदारी से सोलर प्लांट लगाने वाले उपभोक्ताओं से क्रॉस सब्सिडी, नियत प्रभार, अतिरिक्त प्रभार, व्हीलिंग चार्ज लेने की बात कही गई है. ऐसे में यदि इन सभी प्रस्तावों को मंजूरी दी गईं तो सोलर की हर यूनिट का दाम 8.90 रुपये प्रति यूनिट पहुंच जाएगा. राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि ऐसे हालात में उपभोक्ता सोलर बिजली की बजाय सामान्य बिजली को प्राथमिकता देंगे. बिजली के जानकर राजेन्द्र अग्रवाल ने आयोग के समक्ष आपत्ति करते हुए सोलर बिजली के आंकड़े भी पेश किए. उन्होंने कहा कि देश में सितंबर 2023 तक कुल 10100 मेगावॉट सोलर ऊर्जा बनी.
उन्होंने कहा कि इसमें मध्य प्रदेश का योगदान महज 100 मेगावॉट ही है. ये दो फीसदी के आसपास है, जबकि गुजरात की हिस्सेदारी 26.7 फीसदी, महाराष्ट्र 13.5 फीसदी, राजस्थान की हिस्सेदारी 8.3 फीसदी है. कहा जा रहा है कि अप्रैल माह से प्रदेश के लोगों को बिजली 3.86 फीसदी महंगी मिल सकती है. बिजली कंपनियों ने आयोग से 2046 करोड़ की भरपाई के लिए बिजली दरें बढ़ाने की अनुमति मांगी है. बिजली जानकारों के मुताबिक मध्य प्रदेश में अब औद्योगिक और गैर घरेलू उपभोक्ता के लिए दो तरह का टैरिफ तय किया गया है. इसमें दिन में उपभोक्ताओं को सस्ती और रात के समय मंहगी बिजली मिल सकती है.
कहा जा रहा है कि बिजली कंपनी उपभोक्ताओं को शाम पांच बजे के बाद से सामान्य से बढ़ी हुई दर पर बिजली देगी. इसके अलावा सरचार्ज भी वसूला जाएगा. इस मामले में गेंद अब मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के पाले में है. हालांकि, इस नियम को केंद्र सरकार के संशोधित विद्युत अधिनियम के तहत लागू होने का दावा किया जा रहा है.