प्रशासन ने भोपाल में पराली जलाने पर लगाई रोक, उल्लंघन पर दर्ज होगी FIR
भोपाल : मध्य प्रदेश में पराली जलाने के की घटनाएं पिछले साल की तुलना में इस बार ज्यादा देखने को मिल रही है. राजधानी भोपाल के आस-पास के इलाकों लगातार जलाए जा रहे पराली से हवा प्रदुषित हो गई है. राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह सख्त हो गए हैं. उन्होंने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है. जिसके तहत पराली जलाने वालों पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी.
यह आदेश कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के निदेश पर अपर कलेक्टर भूपेंद्र गोयल ने गुरुवार को जारी किए हैं। इस आदेश के मुताबिक पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रशासन द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों का पालन करते हुए जिले की सभी राजस्व सीमा में फसल की कटाई के बाद किसानों द्वारा पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। यदि अब किसी किसान द्वारा पराली में आग लगाई जाती है, तो उसके खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज की जाएगी। उसके खिलाफ अन्य कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
यह आदेश 21 नवंबर से प्रभावी हो गया है, जो आगामी दो महीने के लिए लागू रहेगा। सभी एसडीएम, तहसीलदार और थानों के कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर इसे लगाएंगे। संबंधित क्षेत्र के कार्यपालिक मजिस्ट्रेट एवं पुलिस थाना प्रभारी अपने -अपने क्षेत्रों का भ्रमण कर उक्त व्यवस्था सुनिश्चित करवाएंगे।
आदेश में यह
खेत की आग के अनियंत्रित होने पर जनसंपत्ति एवं प्राकृतिक वनस्पति, जीव-जन्तु नष्ट हो जाते हैं। जिससे नुकसान होता है।
खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है। जिससे उत्पादन प्रभावित होता है।
खेत में पड़ा कचरा, भूसा, डंठल सड़ने के बाद भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते हैं। इन्हें जलाकर नष्ट करना ऊर्जा को नष्ट करना है। आग लगाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है। जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
जिले में कई किसान रोटावेटर एवं अन्य साधनों से डंठल खेत से हटा रहे हैं। यह सुविधा जिले में उपलब्ध हो गई है।
पराली जलाने के नुकसान
खेत में पड़ा कचरा, भूसा, डंठल सड़ने के बाद भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते हैं, इन्हें जलाकर नष्ट करना ऊर्जा को नष्ट करता है। आग लगाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है। जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
खेत की आग के अनियंत्रित होने पर जनसंपत्ति व प्राकृतिक वनस्पति, जीवजंतु आदि नष्ट हो जाते है। जिससे व्यापक नुकसान होता है।
खेत की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु इससे नष्ट होते है।जिससे खेत की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है।